किल्लोलों पर गूँजती रागिणी सी कोई गीत गाना,
वो गगन जो सूना-सूना है अब तक,
उस गगन पर शीतल चाँदनी बन तुम छा जाना,
जो तोड़ ना सके थे कायर हाथ ।
उन बीते दिनों के अनचाहे
...
बंधनों की झूठी लाज ।।
हर्ष वर्धन जोग साहब की यात्राऐं उपयोगी जानकारी और सुन्दर चित्रावली से परिपूर्ण हैं।
पेश है मनोरम ,दुर्गम इलाक़े की एक यात्रा की बानगी -
टेहरी की उंचाई लगभग 2000 मीटर है और तापमान गर्मी में 30 तक और सर्दी में 2 डिग्री तक जा सकता है. सालाना बारिश 70 सेंमी तक हो जाती है याने ठंडी जगह है. गर्मी में भी आधी जैकेट की ज़रुरत पड़ सकती है.
टेहरी का पुराना नाम त्रिहरि बताया जाता है. उससे भी एक पुराना नाम है गणेशप्रयाग. यहाँ भागीरथी और भिलांगना नदियाँ मिलती हैं और मिलकर ऋषिकेश की ओर चल पड़ती हैं.
कविवर स्वर्गीय रामधारी सिंह "दिनकर" सामाजिक चेतना के ऐसे कवि हैं जो आत्ममंथन के लिए बहुआयामी भावभूमि का निर्माण करते हैं। पेश है उनकी एक कालजयी ओजस्विनी रचना -
तिमिर पुत्र ये दस्यु कहीं कोई दुष्काण्ड रचें ना,
सावधान हो खडी देश भर में गाँधी की सेना,
बलि देकर भी बलि! स्नेह का यह मृदु व्रत साधो रे,
मंदिर औ' मस्जिद दोनों पर एक तार बाँधो रे।
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।
एक विशेष अनुरोध .....
कल हमारा 700 वां विशेषांक लेकर आ रहे हैं
भाई राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" जी।
आपके सक्रिय सहयोग एवं स्नेह की आकांक्षा के साथ
आज्ञा दें रवीन्द्र को ... ....सादर।
पेश है मनोरम ,दुर्गम इलाक़े की एक यात्रा की बानगी -
कल हमारा 700 वां विशेषांक लेकर आ रहे हैं
भाई राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" जी।
आपके सक्रिय सहयोग एवं स्नेह की आकांक्षा के साथ
सुंदर सार्थक विविधतापूर्ण लिंकों का समायोजन रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत लिंक्स का चयन किया है आपने रवीन्द्र जी ! मेरी रचना को आज की हलचल में सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यादव जी !
जवाब देंहटाएंरामधारी जी की यह पंक्ति, भाषा की शालीनता और कुशाग्रता का सुन्दर बयान करती है।।।।
जवाब देंहटाएंबलि देकर भी बलि! स्नेह का यह मृदु व्रत साधो रे।।।
अत्यंत तार्किक और भावपूर्ण संकलन।।
शुभप्रभात ,
जवाब देंहटाएंसत्य वचन आदरणीय ''रवींद्र जी''
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध
कुछ सामान्य जनों का यही विचार है
'ना काहू से दोस्ती ना काहू से वैर'
उत्तम शीर्षक आज के अंक का ,
चयनित रचनायें भी स्वयं में श्रेष्ठ हैं
आपका प्रयास सराहनीय है
इस तार्किक एवं बेहतरीन लिंक संयोजन हेतु
शुभकामनायें ,आभार।
"एकलव्य"
शुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंवाह....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
अच्छा लगा पढ़कर
सादर
चयनित रचनायें बहुत बढियाँ..
जवाब देंहटाएंसमायिक तथ्यों पर टिप्पणी करते हुए प्रस्तुतिकरण उम्दा।
धन्यवाद।
इसी उर्जा के साथ आगे बढ़ता रहे पाँच लिंको का आनन्द। टिप्पणियाँ देख कर आनन्द आ रहा है। पाठक बढ़ें इसी तरह लेखकों का उत्साहवर्धन करते हुए। 700वें अंक के आगमन के लिये शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम सर।
हटाएंआपके मार्गदर्शन और स्नेह ने हमें कुछ सार्थक करते रहने के आयाम दिए हैं।
भाई रवींद्र जी की "पांच लिंकों का आनंद" में सम्मलित सूत्र, एक से बढ़ एक हैं। चर्चा की भूमिका में लिखे गए वाक्य मुझे ऐसे लगते हैं मानों रवींद्र जी ने मेरी भावनाओं को शब्द का जामा पहना दिए हों।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंVery Nice ji
जवाब देंहटाएंनिखरा हुआ अंक तात्कालिक मुद्दों पर सटीक भूमिका के साथ। धन्यवाद पांच लिंकों का आनंद।
जवाब देंहटाएं'टेहरी यात्रा' शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाये है.. मजा आ गया...आगे भी पांच लिंको का आनन्द हमारे आनन्द मे इसी तरह वृद्धि करता रहे. अच्छी प्रस्तुति के लिये धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं और यात्रा वर्णन पढ़े ,सब बहुत अच्छे लगे. आपका धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंकविवर दिनकर की बचपन में पढी कविता समर शेष है आज फिर पढ़ने को मिली. कितना गहराई से लिखा गया है कि आज भी उतना ही ज़रूरी है जितना तब रहा होगा. अंक के आरंभ में कवितामय वर्णन बहुत अच्छा है. अच्छी प्रस्तुति के लिये धन्यवाद. लाते रहिये साहित्य के समुन्दर से चुनकर मोती.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक संयोजन....
जवाब देंहटाएंबधाई ,रविन्द्र जी !
आपका स्नेह और सहयोग पाकर आत्मिक ख़ुशी और संतोष मिल रहा है। आप सभी का "पाँच लिंकों का आनंद " तहेदिल से स्वागत करता है ,आभार व्यक्त करता है। हम चाहेंगे हमारे कल के विशेषांक (700 वां अंक ) पर आप पूरी सक्रियता के साथ स्नेह की बरसात करें। सादर यथायोग्य।
जवाब देंहटाएंभाई रवींद्र जी की "पांच लिंकों का आनंद" में सम्मलित सूत्र, एक से बढ़ एक हैं। चर्चा की भूमिका में लिखे गए वाक्य मुझे ऐसे लगते हैं मानों रवींद्र जी ने मेरी भावनाओं को शब्द का जामा पहना दिए हों।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
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