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शुक्रवार, 16 जून 2017

700...."मेरे मन की बात"


सादर अभिवादन,

 आप सभी आदरणीय, पाठकों का,जिनके वज़ह  ये ब्लॉग जगत गुलज़ार है।


"पाँच लिंको का आनन्द" में, मुझे अतिथि चर्चाकार के रूप में  न्योता, यशोदा बहन के द्वारा मिला और मैं इसके लिए सहर्ष तैयार हो गया। तो, सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूँ : विगत 25 वर्षों से मैं रेलवे के यांत्रिक अभिकल्प विभाग में कार्यरत हूँ और ब्लॉग जगत में 2011 ई. से लेखन कार्य कर रहा हूँ। 

ऐसे तो मैं पिछले कुछ महीनो से मित्र-मंडली नाम से एक चर्चा-मंच को संचालित करता हूँ, तो मैं यहाँ किसी खास पोस्ट की चर्चा ना करके सामान्य चर्चा करना चाहूँगा, जो  ब्लॉग-जगत  के अनुभव पर आधारित है। 

सबसे पहले मैं आप सबसे कहना चाहूँगा कि जैसे अभिनय क्षेत्र में कलाकार कितना भी बड़ा क्यों ना हो उसे थियेटर को नहीं भूलना चाहिए वैसे ही लेखक या रचनाकार कितना ही बड़ा क्यों ना हो उसे ब्लॉग का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। आप अपनी रचना पोस्ट ना करना चाहें तो कोई बात नहीं परन्तु लेखन-कार्य से जुड़ी नई पौध को सींचने का कार्य अवश्य करना चाहिए। 

ऐसे तो मैं इस क्षेत्र का अनाड़ी खिलाड़ी हूँ, परन्तु, जितना भी ज्ञान है मैं दूसरों को देने की कोशिश करता हूँ। मेरी कोशिश रहती है कि किसी भी रचनाकार की त्रुटि को मेल द्वारा सूचित कर दूँ। इसलिए लेखकों को मैं सलाह देना चाहूँगा कि अपना ई-मेल या कांटेक्ट फॉर्म अपने ब्लॉग पर अवश्य दें और गुणीजनों से भी आग्रह है कि आपको किसी रचनाकार से कुछ उम्मीद हो तो उसे सलाह अवश्य दें। मैं अक्सर यह महसूस करता हूँ कि अच्छी रचना होने के बावजूद टाइपिंग त्रुटि या अन्य कारणों से वर्तनी या अन्य त्रुटि रहती है। अगर इन त्रुटियों को मेल द्रारा रचनाकार को सूचित कर दें तो वह अपनी रचना को ठीक ही नहीं करेंगे वरन् अगली बार सावधानी पूर्वक रचना को प्रकाशित करेंगे। इससे एक और फायदा होगा कि ब्लॉग मित्रों का प्यार और स्नेह मिलेगा।

रचनाकार को एक अच्छा पाठक भी होना चाहिए। अपकी पोस्ट जब किसी चर्चा-मंच से जुड़ती है तो आभार स्वरुप टिप्पणी करते ही हैं परन्तु अन्य रचनाकार की पोस्ट पर टिप्पणी करें, तभी चर्चा सफल होगी।टिप्पणी भी दिल खोलकर दें, कम से कम एक वाक्य का हो, ना कि एक शब्द का। 

कहना तो बहुत कुछ  है परन्तु चर्चा बोझिल ना हो इसलिए अपने विचारों को विराम देता हूँ। इस चर्चा पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। चलते-चलते मैं उन ब्लॉगर्स से भी अनुरोध करना चाहूँगा, जिन्होंने विगत समय से ब्लॉग पर कोई पोस्ट नहीं लिखा है, वे समय निकाल कर हम जैसे पाठकों के लिए कुछ लिखें। कुछ ने दुबारा से लिखना शुरू किया है, वे बधाई के पात्र हैं। कुछ पुराने ब्लॉगर्स की बहुत याद आती है, इनमें से कुछ ब्लॉग के नाम नीचे लिख रहा हूँ। (सभी का नाम नहीं लिख पा रहा हूँ, क्षमा करें! )    

न दैन्यं न पलायनम्                              (प्रवीण पाण्डेय )

काव्यान्जलि                                         (धीरेन्द्र सिंह भदौरिया)

मचलती कलम                                      (सार्थक सागर )


एहसास की लहरों पर ....                        (परी ऍम. 'श्लोक')


यूं ही कभी                                             (राजीव कुमार झा)

मेरी स्याही के रंग                                  (Madhulika Patel)

कुछ एहसास                                         (pallavi trivedi)

उम्मीद तो हरी है .........                          (Jyoti Khare)

अंदाज़े ग़ाफ़िल                                       (परचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ )

Upāntik / उपांतिक                                (CP Jha)

man ki baat                                         (Kedar Nath) 

Kunwar Kant                                       (kunwar kant)

JAPANI MAUSI KI BAAT                (toko mausi)

anandkriti                                            (Anand Murthy)


~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~    (आशीष अवस्थी ) .............

आज्ञा दीजिए !
धन्यवाद।

आपका
राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" 

13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात....
    बहुत ही अच्छा एवं
    जानकारियो से परिपूर्ण संयोजन
    आभार...
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुदर संकलन और उतसाह बढाती आपकी बातें।।।।।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुदर संकलन और उतसाह बढाती आपकी बातें।।।।।

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभप्रभात आदरणीय, राकेश जी
    सत्य कहा आपने ''व्यक्ति कितना भी बड़ा हो जाये
    उसे अपनी ज़मीन नहीं भूलनी चाहिए''
    आज का ये अंक ब्लॉगिंग दुनिया के
    महत्वपूर्ण तथ्यों से भरा हुआ है
    जो नये लेखकों व ब्लागरों के लिये अत्यंत लाभकारी है,
    आपका मार्गदर्शन सराहनीय है
    आपका ये प्रयास भविष्य में आगे भी जारी रहे
    इसी आशा में, आभार।
    ''एकलव्य''

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया और विचारणीय विषय के साथ आज की सात सौ वीं प्रस्तुति लेकर आने के लिये साधुवाद राकेश जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. आज के 700वें अंक में राकेश जी के बहुमूल्य विचारों से अवगत हुये।बहुत अच्छी सीख है आपके अनुभव का लाभ हम जैसे नये ब्लॉगर के लिए महत्वपूर्ण है।बहुत धन्यवाद आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  7. मार्गदर्शन कराती विचारणीय लिंक..
    बहुत कुछ जानने और सीखने की हमें जरूरत है।
    इसे एक बार नहीं कई बार पढीं।
    धन्यवाद एवम् आभार, सर।

    जवाब देंहटाएं
  8. राही जी के मन की बात पांच लिंकों का आनंद में नवीनता का सूत्रपात है। आपने खुले मन से रचनाकारों ,पाठकों और ब्लॉग जगत से जुड़े लोगों को उपयोगी मार्गदर्शन दिया है। हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. शुभप्रभात....
    आप की मनकी बात....मार्गदर्शन है प्रत्येक ब्लौगर के लिये....
    मैं भी यही सोचता हूं....
    ब्लौग आज के समय में अपनी बात कहने का सबसे उत्तम माध्यम है....
    आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही अच्छा प्रयास है ,पौधें लगाते रहना चाहिये कभी न कभी तो बेलें फैलेंगी ,कविता, कहानी,के बीज डालते रहना चाहिये ।

    जवाब देंहटाएं
  11. सात सौ, सात हजार, सात लाख
    बातें होती रहें बेबाक
    असीम शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही उत्तम विचार प्रस्तुत किए हैं आपने राकेश जी !
    पढना और प्रतिक्रिया देना ये तथ्य ब्लॉगर को अपनी आदत में शामिल करने ही चाहिए...।इससे उत्साह वर्धन भी होगा और हिन्दी ब्लॉग की स्थिति में सुधार की भी सम्भावना भी होगी ....बहुत बहुत धन्यवाद...

    जवाब देंहटाएं
  13. सभी पाठक एवं रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ। आप सब को मेरी प्रस्तुति अच्छी लगी इसके लिए मैं आप सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।

    जवाब देंहटाएं

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