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शनिवार, 15 अप्रैल 2017

638.... लेखन



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष


अपनों गैरों के ताने सुन सुन जी माना जीतना
कुरीतियों के विरोध में जब से है ठाना लिखना


लेखनकौशल का अभ्यास शुरू करने की उलझन और उहापोह से 
निकलने का सबसे बढ़िया तरीका उपर्युक्त उक्ति में ही छिपा है।
 यह बात अपने दिमाग से एकदम निकाल दें कि आप खराब लिखेंगे 
या फिर अच्छा लिखेंगे। बस आप लिखना शुरू कीजिए और फिर
 देखिए कि किस तेजी से आपके लेखन कौशल में सुधार आना शुरू होता है।



लेखनीइक पहेली जिंदगी, मुझसे सुलझती ही नहीं थी,
आग थी मुझमें छिपी, पर वह सुलगती ही नहीं थी,
और यह दुनियां भी मेरा साथ अब तो छोड़ती है,
मंद गति मेरी हुई पर लेखनी अब दौड़ती है।



लेखनीसुस्ता लूं
किसी संगीत का आनंद ले लूं
किसी कोमल धुन को याद कर लूं
किसी मनोरम दृश्य को याद कर लूं
इस एकांत में,
कोई सीन खेल लूं


मेरा हाल सोडियम-सा हैआज आस्था पर हमला है
मूल्य धर्म का गिरा लेखनी अब सुन ले । 84 
देव-देव सहमा-सहमा है
असुर लूटते मजा लेखनी अब सुन ले । 85 
अब रामों सँग सूपनखा है
त्यागी इनने सिया लेखनी अब सुन ले । 86 
आज कायरों कर गीता है



आज मेरे पति महोदय का जन्मदिन है
थोड़े घर के काम कर लूँ

विभा रानी श्रीवास्तव




5 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय दीदी
    सादर नमन
    शुभ प्रभात
    लेकिन शब्द वाली फुर्सत मिलती तो है
    भाव वाले नहीं मिलते
    हर चीज़ के अब दो मतलब हो गए हैं।
    मतलब के भी दो
    दो के भी दो
    कुछ भी हो.
    सुन्दर प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. श्रीमान जी को हमारी ओर से जन्मदिन की शुभकामनाएं दीजियेगा। सुन्दर प्रस्तुति विभा जी।

    जवाब देंहटाएं

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