आज के आनंद के सफऱ का आगाज
ममता का जिसकी नहीं, होता कोई अन्त।
उस माँ के दिल में बसा, करुणा-प्यार अनन्त।।
मतलब का संसार है, मतलब के उपहार।
लेकिन दुनिया में नहीं, माँ के जैसा प्यार।।
लालन-पालन में दिया, ममता और दुलार।
बोली-भाषा को सिखा, माता ने उपकार।।
होता है सन्तान का, माता से सम्वाद।
माता को करते सभी, दुख आने पर याद।।
अब पेश है...आज के पांच लिंक...
ख़ामोशी ... एक एहसास-
लड़ते रहना होता है अपने आप से निरंतर
दबानी पड़ती है दिल की कशमकश
रोकना होता है आँखों का आइना
बोलता रहता है जो निरंतर
तब कहीं जा कर ख़ामोशी बनाती है अपनी जगह
पाती है नया आकार
बन पाती है खुद अपनी ज़ुबान
हाँ ... तब ही पहुँच पाती है अपने मुकाम पर
क्या है ब्रह्मास्त्र और इसकी वास्तिवक शक्ति
ब्रह्मास्त्र प्रचीन भारत का सबसे शक्तिशाली अस्त्र था जो बहुत दुर्लभ और बहुत कम ही लोगों के पास था। माना जाता है कि ब्रह्मास्त्र सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाता था जो कठोर तप करके भगवान को खुश करते थे, और भगवान उन्हें खुश होकर यह शस्त्र दिया करते थे। शास्त्र बताते हैं कि जब भी इसका या इसके समान दूसरे किसी भी अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग हुआ है हमेशा पृथ्वी औऱ अनेक लोकों में जीवन का नाश हुआ है।
ब्रह्मास्त्र का ज्ञान हमारे ही ग्रंथों में आदिकाल से छिपा हुआ है और विड़बना देखिए हम उन्हीं शास्त्रों को मिथिक मानकर रख देते हैं, औऱ इंतजार करते हैं कि कोई पश्चिमी वैज्ञानिक जब कुछ बतायेगा वही सही होगा, भले वही क्यों ना शस्त्रों से सीखी हुआ हो।
गायो को बचाइए न, प्लीज।
ठीक है। यह सियासत की भाषा है। यह ऐसी ही रहेगी। गाय हिन्दुओं के लिए पवित्र पशु और माता समान है। लेकिन खेतिहर भारत के लिए गाय उससे भी ज्यादा ज़रूरी है और इसीलिए गोवंश को बचाना बेहद ज़रूरी है। यह भी बेहद जरूरी है कि जब दुनिया ऑर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रही है तो गो-आधारित खेती, यानी खेती में गोबर और गोमूत्र का प्रयोग करके ही उपज को बढ़ाया जा सकता है।
दिन बैसाख के
धूपीली दोपहरिया में
आँखे लगी देहरिया में
खबर आज भी कोई नहीं
दग्ध तप्त बैसाख में
मन सूना है आकाश का ।
डोर, कब कच्ची हुई,
कब धागे अलग-अलग हो गये,
खिसक गई हमारे
पाँव के नीचे की ज़मीन,
चूर-चूर हो गया हमारा
अस्तित्व और मिल गये
हम मिट्टी में।
आज बस इतना ही...
धन्यवाद.
वाह.
जवाब देंहटाएंखुश हुई
आनन्दित हुई
आभार भाई कुलदीप जी
शुभ प्रभात....
वाह
जवाब देंहटाएंबढ़ियाँ
कई नए सूत्र लिए आज की हलचल ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे शामिल करने का ...
आभार आपका।
जवाब देंहटाएंसार्थक लिंक मिले।
सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने
सादर
सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति ...
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