सादर अभिवादन..
आज रविवार को मै फिर हाजिर हूँ...
इन पंक्तियों को लिखते तक भाई विरम सिंह जी दिखाई नहीं पड़े
एक समाचार है कि बी एस एन एल नें 333 रु. में 270 जी बी डाटा
व फ्री कॉलिंग देने की घोषणा की है..
चलें रचनाओं की ओर कुछ नई और कुछ जूनी.....
लाल बत्ती और वीवीआईपी पर उसके प्रभाव.....ताऊ रामपुरिया
हमारी बात सुनते ही वो नार्थ कोरिया वाले मोटू तानाशाह “किम जोन उंग” की तरह फ़टते हुये बोली – कुछ तो शर्म करो, सारा दिन इधर से उधर नेतागिरी करते फ़िरते हो, आज तक तुम कुछ भी नही बन पाये और एक ये देखो गुप्ता जी को आज सीएम ने खाद निगम का अध्यक्ष बना दिया और उनको लाल बत्ती देकर वीवीआईपी भी बना दिया. गुप्ताईन ऐसे बन ठनकर मेम साहिब की तरह इतराते हुये लाल बत्ती की गाडी में बैठकर गई है जैसे पैदा ही लाल बत्ती में हुई हो….
रेत से खिरने लगे है
आज तिनके भी हमारे
नित पिघलती धूप में,ये
पॉँव जलते है हमारे
अवध के शाम का गवाह बन के जियो
नवाबों के शहर में नवाब बन के जियो
भूलभुलैया में तुम ढूँढ लो ये ज़िन्दगी
या तो 'पहले आप' के रिवाज़ में ही जियो
यह मानव जाति का दुर्भाग्य ही है कि एक ओर जहाँ लगभग आधी शताब्दी पूर्व मानव चरण चाँद पर पड़े थे , मंगल गृह पर यान उतर चुके हैं और अंतरिक्ष में भी मनुष्य तैरकर , चलकर , उड़कर वापस धरती पर सफलतापूर्वक उतर चुका है , वहीँ दूसरी ओर आज भी हमारे देश में विवाहित महिलाओं पर न सिर्फ दहेज़ के नाम पर अत्याचार किये जा रहे हैं , बल्कि उन्हें आग में झोंक दिया जाता है। यह मानवीय व्यवहार किसी भी तरह क्षमा के योग्य नहीं है। इन कुकृत्यों के अपराधियों की सज़ा कारावास से बढाकर फांसी कर देना चाहिए। शायद तभी ये शैतान रुपी लालची मनुष्य इंसान बन पाएंगे।
गर्मी आई गर्मी आई
छुप गया कम्बल
छुपा दी गयी रजाई
रसभरी लीची, हरे - काले अंगूर,
और रसभरा तरबूज खाओ
जी करता है,
फिर से संकरी पगडंडियों पर चलूँ,
लहलहाते धान के खेतों को देखूं,
फूलों पर पड़ी ओस की बूंदों को छूऊँ,
ताज़ी ठंडी हवा जी भर के पीऊँ.
सात फेरों से
शुरू हुआ
जीवन का ये सफर ,
सात फेरे
सात जनम के
लिए सात वचनों से गढ़े
सात गांठों मे बंधे ,
हम दोनों ने पूरी की
ये सारी रस्में ,
इज़ाज़त दे दिग्विजय को
सादर
जल्दबाज़ी में भी उम्दा प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएँ पढ़ी कल आपने
सादर
बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल. मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल. मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंनमन है....आप की निष्ठा को....
जवाब देंहटाएंआप सभी माननीय सुधीजनों का हृदय से आभार, आपने अपना अनमोल समय देकर हमें कृतार्ध किया , हृदय से आभार स्नेह बना रहें
जवाब देंहटाएंसुन्दर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति,,,आभार
जवाब देंहटाएंएक बार फिर ब्लॉग सेतु पर "पाँच लिंकों का आनंद " को प्राप्त हुआ है प्रथम स्थान। पूरी टीम को हार्दिक बधाइयाँ ! यह सिलसिला बरक़रार रहे ऐसी उम्मीद है।
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