आज 13 अप्रैल है...
आज के दिन ही...
जलियांवाला बाग में...
जनरल डायर ने 1800...
भारतीयों को अपनी गोलियों से...
मौत के घाट उतार दिया...
आज के दिन ही...
1699 में...
गुरु गोविंद सिंह ने...
खालसा पंथ की स्थापना की थी...
गुरु गोविंद सिंह जी के पथ पर चलते हुए...
1940 में...
शहीद-ए-आज़म सरदार ऊधम सिंह ने...
जलिया वाला बाग के नरसंहारक...
जनरल डायर को...
21 वर्ष बाद...
उसे उस की करनी का दंड दिया...
नमन है...इस देशभक्ती को...
नमन है...इनके जोश को...
अब पेश है...आज के लिये मेरी पसंद...
पत्थर फेंकनेवालों से निपटने का तरीका केवल कठोर हो-
प्रश्न यह उभर रहा है कि आखिर इतने बड़े राष्ट्र को अपने सैन्य बलों की तुलना में भाड़े के अतिवादियों के बारे में इतना सोचने-विचारने की क्या आवश्यकता है।
कश्मीर समस्या का सच अब किसी भी रूप में गुप्त नहीं रहा। केंद्र सहित स्थानीय विपक्ष, मुसलिम राजनीतिक दल और पाक-प्रशासित आतंकी समूह सभी भलीभांति अवगत
हैं कि कश्मीर में पत्थर फेंकने का कार्यक्रम कोई रीतिगत कार्यक्रम नहीं है। इस काम के लिए किसी भारतीय हित अथवा राष्ट्रीय उत्पादन की दिशा निर्धारित नहीं
होती। आधिकारिक रूप से भारत के हिस्से कश्मीर में भारतीय रक्षा बलों पर पत्थर फेंकना हर कोण से अवैध है। तब भी इस समस्या को देखने का दृष्टिकोण भारत में
ही दो तरह का है। एक वे राजनेता, बुद्धिजीवी, पत्रकार तथा इनके समर्थक लोग हैं जो किसी भी प्रत्यक्ष भारत विरोधी गतिविधि में शामिल मुसलिमों को कभी भी दोषी
या आरोपी नहीं समझते। यह वर्ग उलटा ऐसे राष्ट्र विराधियों की हरकतों को हास्यास्पद तथ्यों व तर्कों के आधार पर सही ठहराने को जुटा रहता है। दुर्भाग्य से
ओ माय गॉड...तुमने निचली जाती की महिला को काम पर रखा!!!
मैंने पूछा,“क्यों, क्या हुआ? मुझे कामवाली बाई की जरुरत थी। इस महिला का स्वभाव बहुत अच्छा है, ये काम बहुत साफ़-सफ़ाई से और अच्छा करती है। ऐसे में इसे काम
पर रखने में क्या अड़चन है?”
“अरे...वो सब तो ठीक है। लेकिन जात-पात भी कोई मायने रखती है कि नहीं? हम तो चाहे कुछ भी हो जाएं...गंदे बर्तन और कपड़ों का ढ़ेर पड़ा रहे तो रहे...घर गंदा रहे
तो रहे...लेकिन हम भुल कर भी निचली जाती वाली को काम पर नहीं रखते!”
“आखिर निचली जाती के लोगों में ऐसी क्या खराबी है, जो आप लोग उन्हें काम पर नहीं लगाते?”
"ख़राबी निचली जाती के लोगों में नहीं है। ख़राबी उनकी जात में है। निचली जाती के लोग अच्छे नहीं होते। हमारे खानदान में आजतक किसी ने उन्हें काम पर नहीं रखा।
इसलिए हमें भी हमारे बुजुर्गों के पदचिन्हों पर चलते हुए इन लोगों को काम पर नहीं रखना चाहिए।"
एक कहानी : शोक-
कहानी
अभी महिलायें अपने लिए चावल और झोर परोस ही रही थी कि गुमानी काकी की ननद पार्वती उधर से दौड़ती हुई आयी और हांफते हुए कहा “कलावंती भौजी मर गयी”.
“चुप चुप चुप” गुमानी काकी ने हाथों से इशारा करते हुए कहा एवं निरपेक्ष भाव से तेजी से खाना परोसने लगी. थोड़ी देर बाद गुमानी काकी के विलाप से वातावरण गूँज उठा. महिलाएं खाकर उठ चुकी थी, वे भी संग में जोर जोर से कलावंती का नाम लेकर रोने लगी. ज्यादा खा लेने के
कारण अलसाये हुए मर्द जो दांतों में फँसे मांस को नीम के खेर से निकालने में व्यस्त थे, भागे हुए आये ... सिधेश्वर जी ने पान की पीक फेंक कर गला साफ़ करते हुएकहा “चलो कम से कम सबके खाना खाने के बाद मरी, पहले मर जाती तो .........”. जूठे बर्तन में मुँह लगायी हुई बिल्ली इतना शोर गुल सुनकर भाग खड़ी हुई. घर में शोक का एलान हो चुका था.
बेहद तकलीफ के साथ लिखना पड़ रहा है रोटी को पत्थर में बदलने से विकास नहीं हो सकता | गाय को गुड़ खिलाकर सूबे के लगभग २.५ करोड़ कुपोषित बच्चों और हर दूसरी एनीमिया ग्रस्त किशोरी को स्वस्थ नहीं किया जा सकता न ही हंगरइंडेक्स में दर्ज आंकड़ों को झुठलाया जा सकता है | भाजपा के नेता ही हल्ला मचाया करते थे कि देश में लाखों टन अनाज सड़ रहा है सरकार गरीबों में इसे बाँट क्यों नहीं देती , अब खुद पहल क्यों नहीं करती ? वह भी तब जब देश व प्रदेश में भाजपा की ही सरकारें हैं | इसके आलावा ‘मन की बात’ में प्रधानमन्त्री जूठन पर चिंता जताते हैं लेकिन सड़ रहे अनाज पर कोई बात क्यों नहीं करते ? और तो और अपवंचित बच्चों के लिए कहीं भी शेल्टर होम हैं न ही स्ट्रीट चिल्ड्रेन की चिंता , बल श्रम व प्राथमिक शिक्षा पर कोई पहल नहीं ? पीने के शुद्ध पानी के इंतजाम , संक्रामक रोगों के रोकथाम पर कोई बयान
नहीं ? राजधानी को साफ सुथरा रखने और गली-कूचों से कचरा उठाने में गजब का भ्रष्टाचार चीन तक की कंपनी को कचरा उठाने की दावत ऐसे में पूरे सूबे की हालत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है | बिजली २४ घंटे देने का बयान हर दूसरे दिन अख़बारों में छपता है मगर भीषण गर्मी में सूबे के ६५ जिलों में औसतन १२-१६ घंटे बिजली फरार रहती है ? महंगाई , रोजगार,किसान की बात पर मंथन के बाद काम होगा, लेकिन डराने धमकाने के पहले यह अच्छी तरह जान लें कि आदमी के घर में चूल्हा आज जलेगा ?
टीवी चैनल से लेकर हर अख़बार में , भाजपा के कद्दावर नेताओं की जुबान पर सिर्फ मिशन २०१९ और राम मंदिर सुर्खरू हो रहे हैं ? हर कोई राम मंदिर बनाने की जल्दी
में है कोई कानून बनाने की धमकी दे रहा है तो कोई अदालत की बात दोहरा रहा है | संत से लेकर नेता तक भूल गये की इसी लखनऊ में केन्द्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास
नकवी ८ महिने पहले कह गये थे कि भाजपा के लिए राम मंदिर न कभी चुनावी मुद्दा था न है और न कभी रहेगा | फिर पहले चुनावों में बनाये गये मुद्दों और वायदों की
जल्दी क्यों नहीं ? उससे भी बड़ी बात ‘सरकार बनती है बहुमत से और चलती आम सहमती से है’ जुम्ला याद रखना होगा | बहरहाल प्रजातंत्र की परिभाषा वन्देमातरम् या
भारत माता की जयघोष से बदलने का प्रयास बंद करके विकास की ओर मजबूत कदम बढ़ाने ही होंगे |
दलाई लामा कुछ वर्ष अरुणाचल क्यों नहीं रहते?
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने 6 अप्रैल को नुमाया संपादकीय ‘इंडिया यूज दलाई लामा कार्ड’ को बड़े ही नकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। उसकी टिप्पणी थी, ‘एनएसजी का सदस्य नहीं बन पाने, और यूएन में मसूद अजहर को आतंकी लिस्ट में शामिल न करा पाने का हिसाब भारत दलाई लामा के जरिये चुकता कर रहा है।’ संपादकीय लिखने वाला जैसे सीमा पर खड़ा ललकार रहा हो, ‘अगर नई दिल्ली ‘साइनो-इंडिया’ संबंध को खराब करता है, और दोनों देश प्रतिद्वंद्वी के रूप में आमने-सामने होते हैं, तो क्या भारत उसके दुष्परिणामों को झेल पायेगा? इसलिए राष्ट्रवादी मित्रों, इस देश में सिर्फ एक बार चीनी माल की बिक्री संपूर्ण रूप से बंद करा दीजिए। चीन इस आर्थिक झटके को झेल नहीं पायेगा!
आवारा कुत्ता और देशद्रोही
यही हाल देशद्रोहियों की भी है । देशद्रोही बनने से पहले वे काफी उच्च किस्म में देशभक्त थे । हो भी क्यों न, हमारा देश सदा से ही उच्च आदर्शों पर देशभक्तों
से भरा रहा है । लेकिन जब से विदेशी आक्रमण शुरु हुए । विदेशी विचारधारा का आगमन हुआ । देशभक्त व्यक्ति जो कर तक भारत माता के सच्चा सुपुत्र था, अव विदेशी विचारधारा अपनाकर देशद्रोही के श्रेणी में आ गया । हालात आवारा कुत्ते जैसे हो गए । पुरे दुनिया से जब देशद्रोहियों का सफाया हो गया तो अब भारत माता के सच्चे सुपुत्र होकर भारत माता को डायन कहते हैं । वे आवारा कुत्ते की भाँति रोज भाषण देते है, मिडिया में अपने मलिन विचार परोसते है फिर भी कहते हैं कि हमारी बोलने की आजादी का गला घोटा जा रहा है, जिस तरह आवारा कुत्ते भौक-भौक कर अपने मालिक से ज्यादा सुख की मांग करते, उसी तरह देशद्रोही भी । अब ज्यादा समय नहीं रह गया है, जब किसी साईकिल, मोटरसाईकिल सवार को दर्घटना ग्रस्त करता आवारा कुत्ता और अपने दुषित विचार से समाज को लकवाग्रस्त करता देशद्रोही अंत में खुद कुत्ते की भाँति बीच सड़क पर कुत्ते की मौत मरेंगे, जबकि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति ईलाज करवाकर और लकवाग्रस्त व्यक्ति लकवा ठीक करवाकर खुद को ज्यादा सशक्त बनेगा ।
धन्यवाद.
उम्दा लिंक्स का चयन
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबैशाखी की शुभ कामनाएँ
अच्छी रचनाएँ
सादर
सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति ....
मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबैशाखी की शुभ कामनाएँ
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएँ.
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धन्यवाद.
अच्छी हलचल
जवाब देंहटाएं