आज अभी तक भाई विरम सिह दिखाई नही पड़े
आशंकित रहती हूँ मैं हमेशा..सो पढ़ी हुई रचनाओं के लिंक्स
सहेजते जाती हूँ.....यह रही उन रचनाओं की कड़ियाँ...
बहती धारा.....साधना वैद
भोर का तारा
छिपा बही जैसे ही
नूर की धारा
आम आदमी डे की शुभकामनाएं.....सखाजी
आम आदमी दिवस की खास आदमी को शुभकामनाएं, क्योंकि आम इससे अब भी बेखबर है। पहले सदियों तक धर्म, फिर राजतंत्र और अब लोकतंत्र जिसे "बना" रहा है। हैप्पी अप्रैल फूल-2017
दिल का गुमां...सुरेश स्वप्निल
मुहब्बत न हो तो जहां क्या करेगा
ज़मीं के बिना आस्मां क्या करेगा
नफ़स दर नफ़स दिल जहां टूटते हों
वहां कोई दिल का गुमां क्या करेगा
विकल्प......डॉ. जेन्नी शबनम
मेरे पास कोई विकल्प नहीं
पर मैं हर किसी का विकल्प हूँ,
कामवाली छुट्टी पर तो मैं
रसोइया छुट्टी पर तो मैं
सफाइवाली छुट्टी पर तो मैं
नीयत....ओंकार केडिया
अर्जुन, नादान था मैं,
सच में उन्हें गुरु मान बैठा,
उनकी चालाकी से बेख़बर
झट से अपना अंगूठा दे दिया,
उस गुरु-दक्षिणा का वे क्या करते?
क्या भला होना था उससे किसी का?
बात पते की....डॉ. सुशील जोशी
दहेज
बहुत है
लड़की के
बाप के पास
देख कर
बारात में ही
दूल्हा
एक और
तैयार हो गया है
पहला
वाला दूल्हा
भी कहाँ
छोड़ने वाला
है मैदान
लड़की
बांटने को ही
तैयार हो गया है
आज्ञा दें यशोदा को
उम्दा प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष संग शुभ प्रभात छोटी बहना
ज्ञानवर्धक ,रोचक एवं सुंदर संकलन हृदयातल से धन्यवाद देता हूँ आपको।
जवाब देंहटाएंआसान नहीं होता है जिम्मेदारी ले कर निभा ले जाना। बहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभारी है 'उलूक' यशोदा जी का सूत्र 'सौदा' को जगह देने पर।
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत सूत्रों का संकलन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार यशोदा जी !
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