नमस्कार दोस्तो
पतझड़ में भीग रही लड़की ....
मौसम को जीत रही लड़की।
रहते दिन कभी नहीं एक से
अनुभव से सीख रही लड़की।
शिखरों तक जा पहुंची आज तो
कल तक जो दीन रही लड़की।
पत्नी पूछती है कुछ वैसा ही प्रश्न
जो कभी पूछा था मां ने पिता से
ए जी, ये लोकतंत्र क्या होता है?
पूछा था मां ने पिता जी से
कई वर्ष पहले जब मैं किशोर था
मां के सवाल पर
थोड़ा अकबकाये फिर मुस्कुराये थे पिताजी
अहम्
कि तुम दरवाज़े पर हो,
तुम्हें भी पता था
कि मुझे पता है.
मैं इंतज़ार करता रहा
कि तुम दस्तक दो,
तुम सोचती रही
कि मैं बिना दस्तक के
खोल दूं दरवाज़ा
मोह और प्रेम कोई भावना नहीं होती
रात को नींद देर से आने की
हज़ार जायज़ वजहें हो सकती हैं
ज़रा सा रद्दोबदल होता है
बताते हैं साईन्सगो,
हार्मोन्स जाने कौन से बढ़ जाते हैं
इंसान वही करता है
जो उसे नहीं करना चाहिए
गोया कुफ़्र हो
रेल
(1)
माँ बाप ने तो
केवल चलना सिखाया
जिसने दौड़ना सिखाया
वह तुम थी ....
रेल
भारतीय रेल....
(2)
जब मेरे मन में पहली बार
घर से भागने का विचार
कौंधा
तो सबसे पहले
तुम याद आई थी,
रेल..
दुःख को विदा
एक स्त्री दुःख को विदा करने जाती है
और देखती रहती है उसे
देर तक दरवाजे पर खड़ी
दुःख भी जाता नहीं एकदम से
ठिठका रहता है ड्योढ़ी पर
ताकता रहता है उसका मुंह
कि शायद रोक ले...
शुभ प्रभात भाई विरम सिंह जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
सादर
अति सुंदर प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाओं से सुशोभित सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर। संकलन
जवाब देंहटाएंBeautiful collection.
जवाब देंहटाएंBeautiful collection.
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल।
जवाब देंहटाएंसुंदर,,,
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