निवेदन।


फ़ॉलोअर

रविवार, 9 अप्रैल 2017

632.....पतझड़ में भीग रही लड़की

नमस्कार  दोस्तो  

सुप्रभात  
पिछले  रविवार  काफी व्यस्त  होने के  कारण  प्रस्तुति  नही कर सका । 
आज भी  समयाभाव  के  कारण सीधे चलते है  आज  की  पाँच  लिंको  की  ओर. . . . . . 


पतझड़ में भीग रही लड़की ....


पतझड़  में  भीग रही लड़की।
मौसम  को  जीत रही लड़की।

रहते दिन  कभी  नहीं एक से
अनुभव  से  सीख रही लड़की।

शिखरों तक जा पहुंची आज तो
कल तक जो  दीन रही लड़की।





पत्नी पूछती है कुछ वैसा ही प्रश्न

जो कभी पूछा था मां ने पिता से



ए जी, ये लोकतंत्र क्या होता है?

पूछा था मां ने पिता जी से
कई वर्ष पहले जब मैं किशोर था

मां के सवाल पर
थोड़ा अकबकाये फिर मुस्कुराये थे पिताजी

        अहम्

मुझे पता था
कि तुम दरवाज़े पर हो,
तुम्हें भी पता था 
कि मुझे पता है.

मैं इंतज़ार करता रहा 
कि तुम दस्तक दो,
तुम सोचती रही 
कि मैं बिना दस्तक के 
खोल दूं दरवाज़ा




(एक)

जब तय था कि समझ लिया जाता
मोह और प्रेम कोई भावना नहीं होती
रात को नींद देर से आने की
हज़ार जायज़ वजहें हो सकती हैं
ज़रा सा रद्दोबदल होता है
बताते हैं साईन्सगो,
हार्मोन्स जाने कौन से बढ़ जाते हैं
इंसान वही करता है
जो उसे नहीं करना चाहिए
गोया कुफ़्र हो 



 
रेल

(1)
माँ बाप ने तो
केवल चलना सिखाया
जिसने दौड़ना सिखाया
वह तुम थी ....
रेल
भारतीय रेल....

(2)
जब मेरे मन में पहली बार
घर से भागने का विचार
कौंधा
तो सबसे पहले
तुम याद आई थी,
रेल..


दुःख को विदा



एक स्त्री दुःख को विदा करने जाती है
और देखती रहती है उसे
देर तक दरवाजे पर खड़ी

दुःख भी जाता नहीं एकदम से
ठिठका रहता है ड्योढ़ी पर
ताकता रहता है उसका मुंह
कि शायद रोक ले...


धन्यवाद  
विरम  सिंह  




9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई विरम सिंह जी
    सुन्दर संकलन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा रचनाओं से सुशोभित सुन्दर संकलन

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...