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तुम मरते किरदार को जिन्दा रखो.....विशाल मौर्य विशु
दुश्मन के हर वार को जिन्दा रखो
जीतोगे, बस हार को जिन्दा रखो
हर झूठ को दफ्न हो ही जाना है
सच लिखते अखबार को जिन्दा रखो
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सादर
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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नमन
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
उम्दा
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी संकलन ! "दिग्विजय जी" आभार।
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह बहुत सुंदर मनभावन संकलन👌
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति। आभार दिगविजय जी 'उलूक' के धुएं को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंVery good presentation. मेरी कविता को स्थान देने के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंVery good presentation. मेरी कविता को स्थान देने के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन, मेरी कविता को शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन, मेरी कविता को शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद ।
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