नियम और कानून तोड़कर
आज फिर मैं ही आपके समक्ष...
क्या भी करें, आने वाले हर्ष के अतिरेक को रोक भी नहीं सकते...
औकात की बात मत करना...ऋतु आसूजा 'ऋिषिकेश'
बूडा फ़क़ीर मुस्कराया और बोला सेठ जी जरूर आपने पिछले जन्म में अच्छे कर्म किये होंगे जो भगवान ने आपको इतना सब कुछ दिया ,
आप बहुत अच्छा करते हैं जो अपने धन के भंडार में से
कुछ गरीबों की सेवा मे लगा देते हैं।
जहाँ तक बात औकात की है। औकात आपकी भी वही है ,जो मेरी है ,बस आपके बस जीवन जीने के साधनों के लिये धन-दौलत अधिक है ,सारी दौलत यहीं रह जायेगी सेठ जी आपके साथ नही जायेगी । आप को भी एक दिन मिट्टी हो जाना है, और मुझे भी एक दिन मिट्टी हो जाना है,
फिर किस की क्या औकात।।
आज्ञा दें दिग्विजय को
सादर
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात..
अच्छी प्रस्तुति बनाई आपने..
कोई नियम कायदा नही है इस ब्लॉग में
बस लिंक पाँच या छः ही चाहिए
यही एक नियम सख्त है..
सादर
बहुत सुन्दर चयन आज सूत्रों का ! मेरी प्रस्तुति को भी सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार दिग्विजय जी ! बहुत-बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति। सलाम आप लोगों की मेहनत को। पन्ने का पन्ने की जगह हो लेना सब से बड़ा नियम हो जाता है। जिम्मेदारी निभा ले जाना सब के बस में नहीं होता है। आभार दिग्विजय जी 'उलूक' के सूत्र को सम्मान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं"पाँच लिंकों का आनंद" अब एक स्थापित वैचारिक मंथन का मंच है जहां आपकी टीम के आन्तरिक नियम-क़ानून होंगे। शायद उन्हें तोड़कर आप इस प्रस्तुति को लेकर हाज़िर / मुख़ातिब हो गए जिसमें पाठकों को किसी प्रकार के नियम -क़ानून तोड़े जाने का अनुभव नहीं हो रहा है।
जवाब देंहटाएंशब्द-सृजन के विभिन्न आयामों को पढ़ने और अपनी प्रतिक्रिया देने सुधि पाठक इस साइट का रुख़ करते हैं। आशा है आपकी टीम पाठकों की उम्मीद पर सदैव खरी ही उतरेगी। आज की रसमय ,भावप्रवण प्रस्तुति के लिए बधाई और मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
सादर अभिवादन
हटाएंकोई नियम नहीं
एक ही नियम....
पाँच लिंकों का आनन्द रोज
प्रकाशित होगा... डॉ. सुशील भाई जोशी ने ठीक ही लिखा
पन्ने का पन्ने की जगह हो लेना सब से बड़ा नियम हो जाता है।
सादर
अच्छे हैं आज के लिंक्स ...
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