तारे...श्वेता सिन्हा
भोर की किरणों में बिखर गये तारे
जाने किस झील में उतर गये तारे
रातभर मेरे दामन में चमकते रहे
आँख लगी कहीं निकल गये तारे
कब तक तुम उसे
इसी तरह छलते रहोगे !
कभी प्यार जता के,
कभी अधिकार जता के,
कभी कातर होकर याचना करके,
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति
सादर
सुन्दर प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और उपयोगी लिंकों का चयन,मेरी रचना को मान देने के लिए आभार आपका यशोदा दी।
जवाब देंहटाएंमधुर हलचल ...
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात....
जवाब देंहटाएंसुंदर...
बहुत अच्छी हलचल...
आज की हलचल में सभी पठनीय सूत्र ! मेरी रचना, 'द्रौपदी का दर्द', को भी सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
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