स्त्री
ढ़ली
सूत्राली
स्नेह उर
खूँट आशीष
कर बलशाली
माँ की विरुदावली
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माँ पर नहीं लिखी जा सकती कविता
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंमाँ
इस
एक शब्द में
सारा संसार
समाहित है
अच्छी प्रस्तुति
सादर
शुभप्रभात आनंद आ गया बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएंसच है माँ पर नहीं लिख सकता है कोई चाह कर भी अनन्त है माँ । सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति..
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