"आपको पता है न ? मैं नौकरी नहीं करूँगा! लड़की का बी.एड. होना इसलिए अनिवार्य था ताकि वो अपने निजी खर्चों के लिए किसी की मोहताज़ ना हो। सौ रूपये में अच्छे सहयोगी मिल जाएंगे, उन्हें घर के कामों के लिए। इतने रुपयों के लिए कोई केवल घर सम्भाले ,ये तो उचित तो नहीं ? अपने घर पर आये अपने होने वाले साले से सवाल किया
दिया गुलाब का लाल फूल
सारी सीमायें भूल
दिल खोल कर रख दिया
मन में क्या था जता दिया
अचानक वो लड़के उनके सामने आकर बोले -
'पंडित जी, पंडित जी, देओ असीस.'
पंडित जी ने तुरंत आशीर्वाद दिया -
'खुसी रहो जजमान, हिये की दोनों फूटें,
घुटनों के बल गिरो, दांत बत्तीसों टूटें.'
हमको पीछे से चपतियाने वाले, हमारी पीठ में छुरा घोंपने वाले और फिर हमारे सामने आकर हमसे वोट मांगने वाले सभी प्रत्याशियों को हमारा ऐसा ही आशीर्वाद.
वो डूबी है प्रेम में....पता नहीं सामने वाले के दिल का हाल...बिना जवाब मिले ही यकीन करना चाहती है कि उसके सामने एक सुनहरी दुनियां का द्वार खुलने वाला है। वो इस कयास को यकीन में बदलना चाहती है कि वो....सिर्फ उसका है।
क्या हुआ जो तेरे पथ में शूल हैं
क्या हुआ जो समय प्रतिकूल है
वक़्त की उलटी हवाओं में
काली और घनघोर घटाओं में
बस इतना ही
प्रेम दिवस की शुभकामनाएँ
यशोदा
बढ़िया फटाफट प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस पर शुभ कामनाएं यशोदा जी |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्यारी हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंशुभ-दोपहर...
जवाब देंहटाएंसुंदर...
आभार आप का...
ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग आभार छोटी बहना
जवाब देंहटाएंप्यार के कई रूप देख चुकी हूँ आपके प्यार के आगे नतमस्तक
बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद की त्वरित प्रस्तुति भी विशिष्ट बन गयी है. एक से बढ़कर एक लिंकों का संकलन पाठकों को विभिन्न रसों से सराबोर करेगा.
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