प्रणामाशीष
शान्ति पुरोहित को गये एक साल हो गया
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
विकास की प्रक्रिया में तो ऐसी
कितनी ही बातों को छोड़ना पड़ता है
और जब हम विकसित हो जाते हैं
तब पाते हैं कि हमने विकास के मोहजाल में
मूल तत्व ही खो दिया, जिसके बिना सारा
विकास खोखला है, वह तत्व है "प्रेम"।
सफर
उसके चेहरे में थी एक मासूमियत,
याद है उसकी मासूमियत का सफर,
वो आज फिर मिली उसी सफर में,
उसी मासूमियत के साथ,
तब वो अकेली थी सफर में,
वैलेंटाइन- कहानी
बिनको नाम रहो बाबा भैलनतेन शाह .... पहुंचे हुए औलिया थे....
बिझड़े जोड़े मिलावत रहे वो सब लोगन क.... जो कोई किसी से प्यार -फ्यार करता
उनके नाम का एकठो गुलाब बस चढ़ा देता अपने जोड़ा को और बोल दे "
हुप्पी भैलनतेन ढे" उसका जोड़े के साथ जिंदगी भर का प्यार रहता है
बस बाकी तो बाबा भैलनतेन शाह की कृपा" इतना समझा
लल्लन ने दोनों हाथ ऐसे जोड़े की
जैसे वह बाबा भैलनतेन शाह का आशीर्वाद ले रहा हो।
शायरी - २
जी भर गया है तो बता दो
हमें इनकार पसंद है इंतजार नहीं…!
मुझको पढ़ पाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं,
मै वो किताब हूँ जिसमे शब्दों की जगह जज्बात लिखे है….!!
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..!
वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं..!
इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ऐ बेखबर,
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं..!!
कायनात ये सिर्फ
ये प्रेम कितना गहरा है कि एक 28 साल के लड़के को
जो जवानी के आखरी पड़ाव में है रोने पर मजबूर कर देता है,
बच्चा बना देता है, जिद्दी बना देता है रोते हुए हंसा देता है
हँसते हुए रुला देता है जिसे तमाम परेशानियों से घिरे होने पर भी
आपके आ जाने से बाकि सब भूल जाता है ।
यह प्रेम ही तो है एक दम गहरा प्रेम ।
<><>
फिर मिलेंगे .... तब तक के लिए
आखरी सलाम
विभा रानी श्रीवास्तव
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंमैं अकेली थी सफर में,
फिर मिली दीदी
और फिर भाई भी
मिले दो
और साथ भी मी मिला
साथी का
आराम से
कट रहा सफर है
जारी रहेगा अनवरत
निरन्तर...
अच्छी प्रस्तुति
सादर
सुप्रभात बहुत सुंदर संकलन आभार आंटी आपका
जवाब देंहटाएंजुड़ते रहें
जवाब देंहटाएंबनते रहें
कारवों पर कारवें
जारी रहे सफर
हर पेज बने
पत्थर मील का
शुभकामनाएं
इस सुन्दर सफर के
सभी मुसाफिरों को
बढ़िया प्रस्तुति विभा जी ।
बढ़िया हलचल प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स |
जवाब देंहटाएं"कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन" मेरी रचना है जिसे आपने बिना अनुमति मेरे ब्लाग "सरल-चेतना" से लेकर बिना मेरी अनुमति व नाम के अपने ब्लाग में प्रकाशित किया है। यह नितान्त निन्दनीय व आपत्तिजनक है।
जवाब देंहटाएंसरल चेतना से ली गई है ये रचना
हटाएंऔर आपको इसकी सूचना भी दी गई है
कृपया अपने ब्लॉग में जाकर देखिए
सूचना अभी भी उपलब्ध है
सादर