हड़ताल खतम हो गई नेट की
कल भाई कुलदीप जी आएँगे
आज की मेरी पसंदीदा रचनाएं......
आज तक किसी चर्चाकार की निगाह नही पड़ी
फिर मुलाकात होगी
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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सुन्दर बुधवारीय हलचल प्रस्तुति। कुलदीप जी का नेट जल्दी स्वश्थ्य होवे । आज के पाँच सूत्रों में 'उलूक' के एक पुराने सूत्र 'राम ही राम हैं चारों ओर हैं बहुत आम हैं रावण को फिर किसलिये किस बात पर जलाया'को जगह देने के लिये आभार यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र संकलन..बहुत बहुत आभार मुझे भी शामिल करने के लिए..
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात आप सभी को...
जवाब देंहटाएंपहाड़ी क्षेत्र में रहने वालों की अनेकों समस्याएं हैं...
औरों के लिये हो न हो...
मेरे लिये तो नैट का हड़ताल पर जाना...
सब से बड़ी समस्या है...
अगली हड़ताल तक मैं फिर उपस्थित हूं...
सुंदर प्रस्तुति...
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंरेखा जोशी की कविता - 'मैं तो बस अपना हक़ मांग रही हूँ' और सुशील यादव की कविता - सफ़र में' अच्छी लगीं.
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