सभी को यथायोग्य
साल दर साल यूँ ही गुजरता रहे
शरद पूर्णिमा
चन्दा तो सब का है, सब पर
शीतलता, चाँदनी लुटाता ।
काश कि, चन्दा सीधे सब की
जिह्वा पर अमृत टपकाता ॥
मालपुआ
चंदा चमके चम-चम
आज शरद रितु की ओपनिंग सेरेमनी का जाम फुलमून के नाम.
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
शरद पूर्णिमा पर बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
सादर
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन..
खुली हुई छत पर पसरी हुई है चांदनी
तो आओ,
इस दूधिया रोशनी में लिखें
चांदनी बचाने की कविता
पसरे हुए हरसिंगार की खुशबू से
मह-मह करते आँगन की कविता
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति विभा जी ।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात आंटी...
जवाब देंहटाएंशरद पूर्णिमापर आप की प्रस्तुति...
पांच लिंकों के आनंद को भी...
प्रकाशित कर रही िहै...
आप का आशीष मिलता रहे...
हम 100 से 456 अंकों तक पहुंच गये...
2 शरद पूर्णिमा के बाद...
हम 1050 का आंकड़ा पार कर लेंगे...
सुंदर प्रस्तुति...
शरद पूर्णिमा के बारे में बहुत अच्छी जानकारी ..
जवाब देंहटाएंसामयिक सार्थक हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!