आज सुबह से ही दीपावली सुधार के कारण
बिल्ली को बंद कर रखा गया था
अभी आई है.....बेबस थी मैं बिल्ली के बगैर
चलिए चलें अब और देर नहीं ,,,
अ ब स.... विभा रानी श्रीवास्तव
देखते देखते ...
पढ़ते लिखते ...
पल पल गुजरते ...
पाँच साल गुजर गये ...
ब्लॉग जगत में आये ....
सीखने की उम्र तैय नहीं होती ...
अश्रु है...विजय लक्ष्मी
उलझे मन की पीड़ा का सार अश्रु हैं ,,
ईश्वरीय तारतम्य का विस्तार अश्रु हैं
सत्य की जीत ,,झूठ की हार अश्रु है
समर्पित प्रेम-प्रीत संग व्यवहार अश्रु है ||
उम्मीदों का संसार... मुकेश सिन्हा
"लो मीडियम इनकम ग्रुप" के लोग
मतलब इतनी सी आमदनी
कि, बस पेट ही भर सके
पर है, चाहत यह भी कि
रख सके एकाध निवाले शेष
जख़्म खिलने लगे हैं आजकल.........कंचन प्रिया
जख़्म खिलने लगे हैं आजकल
खुल के मिलने लगे हैं आजकल
जैैसे जन्मों का इनसे रिश्ता हो
अपने लगने लगे हैं आजकल
पुरानी बकवास नया लिबास
भले लोग
बात करने
में अपनी
मानसिकता
का परिचय
जरूर
दे जाते हैं
बता जाते हैं
....
गिनती सीख गई हूँ
बस पाँच तक
फिर मिलती हूँ
यशोदा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
सादर
सस्नेहाशीष संग सुप्रभात छोटी बहना
जवाब देंहटाएंआभार आपका
बढ़िया प्रस्तुति यशोदा जी । आभार 'उलूक' की 'नये लिबास में एक पुरानी बकवास' को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंगिनती सीख गयी हूँ, बस पञ्च तक।
जवाब देंहटाएंवाह!
गिनती सीख गयी हूँ, बस पञ्च तक।
जवाब देंहटाएंवाह!
बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकंचन प्रिया जी की कविता अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंशेयर करने के लिए धन्यवाद् ........
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