निवेदन।


फ़ॉलोअर

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016

459.....नहीं चलती है तो फौज लगा कर चला दी जाती हैं

सादर अभिवादन
आज भाई कुलदीप जी का नेट हड़ताल पर है
पर पाँच लिंकों का आनन्द में कभी हड़ताल
की गुंजाईश ही नही..
आज देखिए मेरा पसंद की रचनाएँ.....

पहली बार आ रही हैं बहन सविता मिश्रा जी
भोर सी मुस्कराती हुई भाभी साज सृंगार से पूर्ण अपने कमरे से निकली|
"अहा भाभी आज तो आप नयी नवेली दुल्हन सी लग रहीं हैं| कौन कहेगा शादी को आठ साल हो गए|" ननद ने अपनी भाभी को छेड़ा|
"हां, आठ साल हो गए पर खानदान का वारिस अब तक न जन सकी|" सास मुहँ बिचकाते हुए बोली|
"क्या माँ आप भाभी को ही ऐसे क्यों कोसती रहतीं हैं!!" 

एक अरसा हुआ तुमको सोचे हुए 
ज़िन्दगी अनकही सी कहानी बनी 
जो रखा हाथ अपनी तन्हाई पर 
दिल की गहराइयाँ पानी पानी बनी !! 



सफर में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं 
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो 



कब और कैसे 
तुमसे जुड़ गई 
मैं खुद नहीं जानती 
बस ! इतना जानती हूँ 
मेरी ज़िन्दगी तुमसे है 
मेरी बंदगी तुमसे है ...




ये आज की शीर्षक कड़ी.....
ही जमा होती हैं 
जैसी जगह मिले 
उसी की जैसी 
हो लेती हैं 
सामंजस्य हो 
बात का बात के साथ 
जरूरी नहीं होता है 
कुछ बातें खुद ही 
तरतीब से लग जाती हैं 
...........
एक आवश्यक सूचना...
हम आप सबको सहर्ष सूचित कर रहे हैं कि 
पुस्तक बाज़ार.कॉम अब पुस्तकों को बेचने के लिए तैयार है। 
एंड्रॉयड उपकरणों (फ़ोन, टैबलेट इत्यादि) की ऐप तैयार है जो कि पुस्तक बाज़ार के होम पेज पर दिये गूगल प्ले के लिंक से 
डाउनलोड की जा सकती है।
            सभी लेखकों के एकाउंट रिसेट हो चुके हैं और अब से उसमें दिख रही राशि ई-पुस्तकों की वास्तविक बिक्री की होगी। 
             पुस्तक बाज़ार.कॉम के प्रचार-प्रसार में आपके सक्रिय सहयोग की आवश्यकता रहेगी इसलिए अनुरोध है कि आप इसके लिंक को 
अपनी ई-मेल, फ़ेसबुक, ट्वीटर इत्यादि से वितरित करें। 
पुस्तक बाज़ार.कॉम का लिंक है:
http://pustakbazaar.com/
सादर -

सुमन कुमार घई (साहित्यकुंज)


इसी के साथ
इज़ाज़त दीजिए दिग्विजय को
फिर मिलेंगे

6 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर मंगलवारीय हलचल । आभार दिग्विजय जी 'उलूक' के सूत्र 'च्यूइंगम बात' को आज के पाँच सूत्रों के बीच में चिपकाने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. निदा फाज़ली की रचनाएँ हमेशा दिल को छू जाती हैं. 'ये आज की शीर्षक कड़ी - 'बातें भी बूँद, बूँद' पसंद आई.

    जवाब देंहटाएं
  5. आज के पाँच सूत्रों के बीच में हमारी लघुकथा को स्थान देने के लिए आभार भैया | मान पाकर प्रफुल्लित कौन नहीं होता, अतः हम भी है | और चारों लिंक बहुत सुंदर | सादर नमस्ते |

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...