सादर अभिवादन
आज भगवान धन्वन्तरी जयन्ती है
और साथ-साथ धनतेरस भी
छुट्टी सा माहोल है..
उत्साह है त्योहार का
पर त्योहार मनाता कौन है
पैसे वाले दिखावा करते हैं
लिखने का विषय नहीं है
केवल अनुभव किया जा सकता है
आज की चुनी हुई रचनाएँ......
दिल की कलम से...ब्लॉग जो बन्द है दो हजार तेरह से
कुछ ऐसे रिश्ते होते हैं, जो सौदेबाज़ नहीं होते...............दिलीप
जो इश्क़, खुदाई न होती, ये गीत औ साज़ नहीं होते...
जो कान्हा न फेरे उंगली, मुरली में राग नहीं होते,
दो जिस्म मिले, इक आँच उठी, गर इश्क़ इसी को कहते हैं...
तो सूर, बिहारी, मीरा क्या, राधे और श्याम नहीं होते...
आवाज़.............दीप्ति शर्मा
बस महसूस होती है
पर्वतों को लाँघकर
सीमाएँ पार कर जाती हैं
उस पर चर्चायें की जाती हैं
पर रात के सन्नाटे में
वो आवाज़ सुनी नहीं जाती
दशहरा गया दिवाली आई
हो गई घर की साफ-सफाई
व्हाट्सएप्प और फेसबुक पर
दनादन लोग देने लगे बधाई
आई दिवाली आई
खुशियों की सौगात लाई
माटी के खूबसूरत दीये....रेखा जोशी
जगमगायें गे
माटी के खूबसूरत दीये
दीपावली की रात
और
जगमगाये गा
पूरा हिदुस्तान
दीपावली की रात
ये आज की प्रथम रचना
किया भी दिखा भी
अपनी सूरत का जैसा ही
जमाने से लिखा गया
आज भी वैसा ही कुछ
कूड़ा कूड़ा सा ही
लिखा जा रहा था
जो है सो है बस
यही पहेली बनी रही थी
देखने पढ़ने वाला
खाली सफेद पन्ने को
इतने दिन बीच में
किसलिये देखने
के लिये आ रहा था ।
.........
आज्ञा दें यशोदा को
दिन पर दिन प्रस्तुतिकरण में निखार आता जा रहा है । सुन्दर शुक्रवारीय सूत्र संकलन । आभारी है 'उलूक' हमेशा की तरह सूत्र 'खाली सफेद पन्ना अखबार का कुछ ज्यादा ही पढ़ा जा रहा था' को जगह देकर मान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआपको दीप-पर्व की शुभकामनाएँ ।