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गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016

447..ना इसका हूँ ना उसका हूँ क्या करूं इधर भी हूँ उधर भी रहना ही रहना है

सादर अभिवादन
अपरिहार्य कारणों से मैं कल नहीं आ पाई

' माँ
हम तो इससे अलग होंगे ही नहीं
क्योंकि हमें पता है -
ये आठवां रंग तुम हो...
विश्वास रखो माँ
हम भी आठवां रंग बनेंगे
बिल्कुल तुम्हारी तरह !'
- ऱश्मि दीदी



पहली बार..
मेरी नयी पड़ोसन........कुमार शिवा
मेरी ओर मुड़ी गर्दन तो सूरज से हटा बादल
क़ि सतरंगी हुआ मौसम आज अपनी बालकनी में,

"कुश" की नज़र अटकी जुबां भी रास्ता भटकी
लेखनी ने दिया फिर संग आज अपनी बालकनी में ।



पुनरावृति का हस्ताक्षर.........रश्मि प्रभा
सोच वही होती है
परिपक्वता आती जाती है
उम्र दर उम्र
हम हस्ताक्षर करते हैं
तब तक
जब तक हाथ न काँपने लगे
!!!

जगह दीजिए दोस्त को.....रविकर
छोरे ताकें छोरियां, वक्त करे आगाह |
मर्यादा मत भूलना, रखती घडी निगाह |
रखती घडी निगाह, नहीं कर कानाफूसी |
पति प्रेमी पितु-मातु, करा सकते जासूसी |
नोटः इस ब्लॉग में सूचना देने गई तो जाना
कि मुझे प्रतिक्रिया करने मे रोक लगा दी गई है

देवी माँ..... साधना वैद
सिंहवाहिनी
रिद्धि सिद्धि दायिनी
विघ्न नाशिनी

पूजन करें
पहनें हरे वस्त्र
देवी प्रसन्न

आरोग्यदायी
यशवर्धिनी माता
तुझे नमन


ठीक एक साल पहले..सुशील कुमार जोशी
कुछ दिनो के बाद
कौन सा किस को
कहाँ उसी जगह पर
लम्बे समय तक
खसौटे गये को
दिखने दिखाने
के लिये रहना है
‘उलूक’
की आदत है
उसको भी कुछ भी
कभी भी कहीं भी
कहने के लिये
ही बस कुछ कहना है ।


आज ठीक पाँच ही रचना पढ़वा रही हूँ
कहते हैं न आज-कल जल्दी पचता नही है
सादर

छपते-छपते-
मिरर इमेज लिखने के शौक ने लिखवाई विश्व प्रसिद्ध पुस्तकें..... मिताली गोयल







3 टिप्‍पणियां:

  1. देवी माँ को प्रणाम ! माँ सबका कल्याण करें ! बहुत सुन्दर सूत्र ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात दीदी...
    सुंदर संकलन...

    जवाब देंहटाएं

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