मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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पृथ्वी सोच रही है...,
किसी दीवार पर
मौका पाते ही पसरे
ढीठ पीपल की तरह,
खोखला करता नींव को,
बेशर्मी से खींसे निपोरता,
क्यों नहीं है चिंतित मनुष्य
अपने क्रियाकलापों से ...?
मनुष्यों के स्वार्थपरता से
चिंतित ,त्रस्त, प्रकृति के
प्रति निष्ठुर व्यवहार से आहत
विलाप करती
पृथ्वी का दुःख
सृष्टि में
प्रलय का संकेत है।
अब आज की रचनाएँ
कबीर का प्रेम..
निर्गुण ब्रह्म में सब कुछ देखता है
सूर का प्रेम ..,
शिशु मुस्कुराहट में खेलता है
गृहस्थी के सार में साँसें लेता है
तुलसी का प्रेम
तो अरावली की उपत्यकाओं में
गूँजता है मीरां का प्रेम
सुन लेते हैं जो मौन की भाषा
जहां छाया है
अटूट निस्तब्धता और सन्नाटा
वहीं गूंजता है
अम्बर के लाखों नक्षत्रों का मौन हास्य
और चन्द्रमा का स्पंदन
मिट जाती हैं दूरियाँ
हर अलगाव हर अकेलापन
गंगा, जमुना,
सरयू, नर्मदा
सतुपड़ा, हिमालय नवगीत का,
छंद का हितैषी
यायावर
गीत लिखा मन के जगजीत का.
गीतों की
गन्ध रहे बाँटते
रेत, नदी, धूप में कछार में.
उड़ती हैं महाकाय रंगीन परों की तितलियाँ, हर
कोई बढ़ चला है अनजान सफ़र में, हाथों
में थामे हुए अनेक रहस्यमयी तख्तियां ।
वो सभी चेहरे हैं भाषा विहीन, मूक
कदाचित बधिर भी, उनकी
आँखे हैं पथराई सी,
मशीन मानव की
तरह वो बढ़े
जा रहे हैं
नंगे
''बहुते है ! पर सबसे बड़का अचरज तो अपना दिल्ली में ही है ! चा का टपरी पर उसी का बात हो रहा था ! देखिए, देश का सबसे बलशाली कुनबा ! जहां का तीन-तीन, चार-चार परधान मंत्री बना ! देश का दूसरा सबसे बड़ा पाटी ! अभी भी सबसे जोरावर परिवार ! पर दिल्ली का जउन सा निर्वाचन छेत्र का सीट का लिस्ट में इन लोगन का नाम है, जहां इ लोग वोट देगा, ऊ छेत्र का वोटिंग मशीन पर इनका पाटी का निशाने ही नहीं है ! तो ई लोग कउन चिन्ह का बटन दबाएगा ? इसी पर सब बहिसिया रहे थे !
आज के लिए बस इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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कबीर का प्रेम..
जवाब देंहटाएंनिर्गुण ब्रह्म में सब कुछ देखता है
सूर का प्रेम ..,
शिशु मुस्कुराहट में खेलता है
गृहस्थी के सार में साँसें लेता है
तुलसी का प्रेम
तो अरावली की उपत्यकाओं में
गूँजता है मीरां का प्रेम
और.....
राधा - कृष्ण सा
प्रेम भी..
आभार
सादर वंदन
ये भी विडंबना ही है
जवाब देंहटाएं''बहुते है ! पर सबसे बड़का अचरज तो अपना दिल्ली में ही है ! चा का टपरी पर उसी का बात हो रहा था ! देखिए, देश का सबसे बलशाली कुनबा ! जहां का तीन-तीन, चार-चार परधान मंत्री बना ! देश का दूसरा सबसे बड़ा पाटी ! अभी भी सबसे जोरावर परिवार ! पर दिल्ली का जउन सा निर्वाचन छेत्र का सीट का लिस्ट में इन लोगन का नाम है,
आभार
जय बजरंग
सादर
चिंतन परक भूमिका के साथ बहुत सुन्दर सूत्र संयोजन श्वेता जी ! अति सुन्दर प्रस्तुति में “ढाई अक्षर” को सम्मिलित करने के लिए हृदय तल से आभार ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! किसी व्यस्तता के कारण कुछ दिनों के अंतराल के बाद पुन: आप सभी से मिलकर आनंद का अनुभव हो रहा है। प्रभावशाली भूमिका और सुंदर सूत्रों का चयन, बधाई और आभार श्वेता जी!
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंविलम्ब हेतु क्षमा. आभार. सादर अभिवादन
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