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शनिवार, 13 अप्रैल 2024

4095 ..माँ सब संभाल लेगी। माँ पागल नही है।

 सादर अभिवादन

लगा बंधा चैत्र नवरात्रि का त्योहार चालू आहे ...
17 अप्रैल को राम नवमी...
और मुस्कुराइए और भंण्डारा पर भंण्डारा
फिर महावीर जन्म कल्याणक 21 अप्रैल को
नमन-मनन करते चलिए
आइए देखें कुछ रचनाएं ....



शक्ल बतलाती है कि
कीमत करोड़ों में लगी
कुछ बताओ तो कहां
ईमान का सौदा किया.

चाल उनकी देख के
सर नोचता भगवान भी
सोचता होगा ये किस
इंसान को पैदा किया.





दीवार पर हथेली की
धुंधली पड़ती छाप
टूटती थाप
ज़िंदगी छूटे हुए
मकान की तरह
वीरान
गोया
दो गज ज़मीन के नीचे
एक ताबूत में
ज़िंदा दफ़्न





आज का दिन बाकी सामान्य दिनों की तरह ही है। रोज की तरह सुबह के काम यंत्रवत हो रहे है। मैं सभी कामों को दौड़ती भागती कर रही हूँ। घर में काम चालू है इसलिये दौड़भाग थोड़ी अधिक है क्योकि मिस्त्री आने के पहले पहले मुझे सब निपटा लेना होता है। सब कुछ सामान्य सा ही दिख रहा है लेकिन मन में कुछ कसक है, कुछ टीस है, कुछ है जो बाहर की ओर निकलने आतुर है लेकिन सामान्य बना रहना बेहतर है





प्रतियोगिता
झूठ
बोलने
की ही
हो रही है

हर
तरफ
आज
के दिन
पूरे
देश में

किसी
एक झूठे
के
बड़े झूठ
ने ही
जीतना है





इसी अन्तर्द्वन्द्व के बीच दो बार मोबाइल का रिंग भी बजा। सुमन का कॉल था। नहीं उठाया। क्या पूछता उसे। यही ना कि तू कैसे चपेटे में आ गई। माँ फलाना डिमकाना बोल रही थी। और वो जवाब देती कि बुढ़िया पागल है सनका गई।

            फिर माँ की आवाज कानों में गूँजने लगी। तू चिन्ता ना कैर बाबा मि सब समाळ लूँगी। म्येरे रैते किसी को कूऽछ नि होगा। म्येरे रैते किसी को ........। और मैं एक लम्बी सांस लेते हुए सोफे पर निडाल हो फैल गया। निश्चिंत। अन्तर्द्वन्द्व खत्म। माँ सब संभाल लेगी। माँ पागल नही है।


आज बस. ...कल फिर

सादर वंदन

3 टिप्‍पणियां:

  1. वाह यशोदा जी ...सारे ल‍िंंक एक से बढ़कर एक हैं...आनंद आ गया...आपका आभार क‍ि आपके प्रयासों से हम इन रचनाओं का आनंद ले पा रहे हैं

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