सादर अभिवादन
इश्क़ न किया होता तो यूँ बर्बाद न होता
तू नहीं होती तो तेरा ख्वाब नहीं होता
हुक्मरानों की बात पे न जाते अगर तुम
शहर में कभी कोई फसाद नहीं होता
बच्चे मन के सच्चे ..... मनीष के
कहानी (एक)
बाबा/दादा जी या नाना जी में बच्चे किन्हें ज्यादा मानेंगे या किस पक्ष को, यह इसपर निर्भर करता है कि – दोनों में कौन ज्यादा पैसा वाला और ताकतवर है और कौन ज्यादा बच्चों को दे रहा है ! अतिरिक्ति में बच्चों में माता-पिता को भी दे रहा है ! और कितना बन रही है ! तो इस तरह कुछ बच्चे नाना के ज्यादा करीब होते है ! और कुछ बाबा के ! कुछेक बच्चों के नाना / बाबा ग़रीब होते है ! वह बच्चे ज्यादातर रिश्तों में भरोसा करने से बचते है ! फिर भी बच्चे तो बच्चे होते है ! और बच्चे मन के सच्चे होते
ढीठ याद के कच्चे क़िस्से ... पूजा उपाध्याय
मुहब्बत की स्पॉटलाइट जब आप पर गिरती है तो आप दर्शक दीर्घा से निकल कर मुख्य किरदार हो जाते हैं। आपका सब कुछ हाइलाइट होता है। आँखों में रौशनी होती है, बाल चमकते रहते हैं और अक्सर ज़िंदगी का डायरेक्टर इतनी प्यारी हवायें चलवाता है कि आपका दुपट्टा या कि मान लीजिए, आँचल…एकदम हवा में हौले हौले उड़ता है।
सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएं