सोचती हूँ
विश्व के ढाँचें को अत्याधुनिक
बनाने के क्रम में
ग्रह,उपग्रह, चाँद,मंगल के शोध,
संचारक्रांति के नित नवीन अन्वेषण
सदियों की यात्राओं में बदलते
जीवनोपयोगी विलासिता के वस्तुओं का
आविष्कार,
जीवनशैली में सहूलियत के लिए
कायाकल्प तो स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है
किंतु,
कुछ विचारधाराओं की कट्टरता का
समय की धारा के संपर्क में रहने के बाद भी
प्रतिक्रियाविहीन,सालों अपरिवर्तित रहना
विज्ञान,गणित,भौतिकी ,रसायन,
समाजिक या आध्यात्मिक
किस विषय के सिद्धांत का
प्रतिनिधित्व करता है?
#श्वेता सिन्हा
आइये आज की रचनवो देखता था विस्मय के साथ सबको
वो करता था संदेह सबकी निष्ठाओं पर
वो प्रेम के ग्रह पर पटका गया था
किसी धूमकेतु की तरह
बिना किसी का कुछ बिगाड़े
वो पड़ा था अकेला निर्जन
ऐसे बात करते हैं
कि मुंडेर पर बैठी चिड़िया
बिना डरे बैठी रहे,
कलियाँ रोक दें खिलना,
सूखे पत्ते चिपके रहें शाखों से,
हवाएं कान लगा दें,
दीवारें सांस रोक लें,
ठिठककर रह जाएं
सूरज की किरणें.
खोज लगातार जारी रखना ।
हार कर द्वार बंद मत करना ।
शायद थोङा समय और लगेगा,
अवसर इसी रास्ते से आएगा,
तुम अपनी जगह मुस्तैद रहना ।
बहुत सुंदर रचनाएं
जवाब देंहटाएंआभार...
सादर वंदन
वाह! बहुत खूबसूरत संकलन प्रिय श्वेता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन
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