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रविवार, 7 अप्रैल 2024

4089 .. संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!

 सादर अभिवादन

बोली बता देती है,इंसान कैसा है!
बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!
घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है।
संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!
-गुलज़ार

और मुस्कुरा लीजिए

आइए देखें कुछ रचनाएं ....




नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली। वह मुदित थी कि उसे अपना गंतव्य प्राप्त हुआ। सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था, किंतु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो बड़ी दुर्गति हो गई। चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे ऐसी जगह ला पटका था, जहां उसके लिए न भोजन था, न पेयजल और न ही कोई आश्रय। सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि तरंगायित हो रही थी।

जीत किसके लिए, हार किसके लिए
ज़िंदगी भर ये तकरार किसके लिए!!
जो भी आया है वो जायेगा एक दिन,
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए।





अब तो घर समझे है पराया कहीं
खानाबदोश सी ज़िंदगी ठिकाना नहीं
कौन अपना ?क्या घर क्या सर-ज़मीं
अब तो हर तरफ ताना शाही, मारा-मारी कहीं
(यह प्रस्तुति रोमन अंग्रेजी में है)




नाज़ुक दिल की परतों पे
गिर रही है क़तरा ए शबनम,
लरज़ते ओंठ पे, गोया
बिखर चली हैं नशीली सुर्ख़ियां,




पढ़ा लिखा एक बेवकूफ है ‘उलूक’ ही है केवल
उसको पता है और समझ में भी आ गया है उसके
उसने पढ़ा ही नहीं ना ही लिखा कहा वो जाएगा
भीड़ का उन्माद दिखता नहीं जिसे ज़रा सा भी
कैसे उस की बात पर कोई ध्यान दे पायेगा




वो मैं नहीं था ..
या ये मैं नहीं हूँ
एक वक़्त से मैं इसी उधेड़बुन में हूँ
कैसे कैसे लम्हों की परते चढ़ी
सांप ने जैसे बदल ली काचूली
हालत बदलें उसूल बदल गये




मरुस्थल से कहो कि वह
किसके फ़िराक़ में है?
आज-कल बुझा-बुझा-सा रहता है?
जलाती हैं साँसें
भटकते भावों से उड़ती धूल
धूसर रंगों ने ढक लिया है अंबर को


और अंत में....
POK के रहस्य क्या हैं?

आपको पता है गिलगित से रोड मार्ग द्वारा आप विश्व के अधिकांश कोनों में जा सकते हैं गिलगित से रोड मार्ग 5000 Km दुबई है, 1400 Km दिल्ली है, 2800 Km मुंबई है, 3500 Km रूस है, चेन्नई 3800 Km है लंदन 8000 Km है , जब हम सोने की चिड़िया थे (सोने की चिड़ियाअभी भी हैं) तब हमारा सारे देशों से व्यापार इसी सिल्क मार्ग से चलता था 85 % जनसंख्या इन मार्गों से जुड़ी हुई थी मध्य एशिया, यूरेशिया, यूरोप, अफ्रीका सब जगह हम रोड मार्ग जा सकते है अगर गिलगित-बल्तिस्तान सड़क समुचित रुप से निर्माण हो जाए...।




आज बस. ...
सादर वंदन

5 टिप्‍पणियां:

  1. मरुस्थल से कहो कि वह
    किसके फ़िराक़ में है?
    आज-कल बुझा-बुझा-सा रहता है?

    Waah
    अच्छी रचनायें है ।
    मुझे भी स्थान देने के लिए धन्यवाद🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर संकलन।
    हार्दिक आभार दीदी स्थान देने हेतु।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बिल्कुल सही बात है "संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है।"
    लिंको का सुंदर संकलन और इसमें मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से आभार।

    जवाब देंहटाएं

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