शीर्षक पंक्ति:आदरणीया साधना वैद जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में प्रस्तुत हैं पाँच
पसंदीदा रचनाएँ-
खेल
कैसा है रचाया
अश्रु
हर क्योंकर बहाया,
नयन
स्वयं को देखते न
रहे
उनमें जग समाया!
ऐसा क्यों ? कारण सुनो,
दुख इतना हावी हो जाता,
सुख धूमिल हो
आँसुओं में बह जाता ।
गज़ब था बुढापा
अजब थी जवानी
वो थी शाहजादी
बला की दीवानी
भाया था उसको
एक बूढा अमानी
कसौली की खुशबू ने थाम लिया था...
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआधुनिक और
स्तरीय रचनाएं
सादर वंदन
सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंसुप्रभात, चुनाव पर्व में वोट देकर अपने कर्तव्य पालन के लिए बधाई। सराहनीय रचनाओं का सुंदर संयोजन, सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ ! आभार रवींद्र जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंमन को छूने वाली रचनाओं के साथ जगह देने के लिए सविनय आभार और धन्यवाद, रवीन्द्रजी।
जवाब देंहटाएंपांच लिंक में प्रस्तुत चुनिंदा रचनाओं का चयन भी एक महत्वपूर्ण काम है। रचना को शामिल करने के लिए आभार !
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