सारी किताबें खुली हुई हैं
स्वयं बताएं खुद अपना पन्ने को पन्ने
शक्कर देख रही कहीं दूर से
लड़ते सूखे सारे गन्नों से गन्ने
सच है सारा पसर गया है
झूठ बेचारा यतीम हो गया है
बता गया है बगल गली का
एक लंबा लंबा सा नन्हे
सादर वंदन
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
सादर वंदन
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आभार यशोदा जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी रचना को आज की हलचल में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन, आदरणीया मेरी रचना को सम्मिलित करने पर तहेदिल से शुक्रिया आपका
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