शीर्षक पंक्ति:आदरणीय बृजेन्द्र नाथ जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
74 वें गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
15 अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश सत्ता की ग़ुलामी से आज़ाद हुआ और 26 जनवरी 1950 से हमारा अपना संविधान लागू हुआ अर्थात स्वतंत्र से गणतंत्र बनने में कुछ वर्षों का समय लगा। हमारे देश का संविधान लिखित है जिसमें समय-समय पर देश की परिस्थितियों के अनुसार संशोधन होते रहते हैं। गणतंत्र दिवस पर देश की शक्ति, शौर्य और सांस्कृतिक गतिविधियों की झलक 'कर्तव्य-पथ' (एक साल पहले तक 'राजपथ) पर पेश की जाती है।
ऋतुराज बसंत का आगमन हो चुका है। वाग्देवी सरस्वती माँ का जन्मोत्सव बसंत पंचमी के दिन धूमधाम से मनाया जाता है। नई फ़सल और रंग-बिरंगे फूल व विभिन्न प्रकार की पत्तियों की चमकदार हरीतिमा मन मोह लेती है।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
इस गणतंत्र उठ रहे कुछ सवाल (कविता)
आफ़ताबों की हिम्मत ऐसी बढ़ेगी कि
अब लौट कर
कभी तो दिगम्बर वतन में आ...
भेजा है माहताब ने इक अब्र सुरमई
लहरा के आसमानी दुपट्टा गगन में आ
तुझ सा मुझे क़ुबूल है, ज़्यादा न कम
कहीं
आना है ज़िन्दगी में तो अपनी टशन में आ
एक देशगान -आज़ादी के दिन वसंत है
वतनपरस्ती जन-जन में हो
देशभक्त हो माली,
सरहद पर अपनी सेना की
गाथा गौरवशाली,
फर्ज़ निभाते बारिश, आंधी
ओले, ग्रीष्म तपन में.
झील के उस पार दिखता,
नीड़ जो आधा झुका।
डालियों पे बैठ उसके,
गीत जो मैंने लिखा॥
आज उन गीतों को गाने का,
बड़ा सुंदर समय।
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
चौहत्तरवें गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहमारा गणतंत्र अमर रहे
माता सरस्वती की कृपा हम पाठकों व लेखकों पर बनी रहे
सुंदर अंक
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस और वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
सुंदर हलचल … आभार मेरी ग़ज़ल की जगह देने के लिए।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंहार्डीक आभार आपका. सादर नमस्ते. आपकी टिप्पणी स्पेम में मिली पता नहीं कैसे. अभी देखा हूँ तो पब्लिश किया. सादर
जवाब देंहटाएंहार्डीक आभार आपका. सादर नमस्ते. आपकी टिप्पणी स्पेम में मिली पता नहीं कैसे. अभी देखा हूँ तो पब्लिश किया. सादर
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