नमस्कार ! .... पाँच लिंकों के आनंद के सभी पाठकों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ .....हर वर्ष 1 जनवरी को लोग नए वर्ष की बधाई देते हुए आशाओं से भरे होते हैं और कामना करते हैं कि आने वाला साल सबके लिए शुभ हो ....... लेकिन वक़्त है की अपनी रफ़्तार से चलता रहता है ....... फिर भी जो हम कर सकते हैं उसके लिए प्रयास ज़रूर करना चाहिए .........आइये सबसे पहले पढ़ते हैं नव वर्ष का एक संकल्प गीत ----
आओ, मिल कर साथ चलें ।
कहीं रहे न भूखा कोई,
सबको रोटी दाल मिले।
सभी निरोगी रहें हमेशा,
हर जीवन खुशहाल मिले।
भले ठगे जाएँ हम लेकिन,
नहीं किसी को कभी छलें।।
वैसे तो नए साल में अचानक कुछ नहीं बदलता केवल कैलेण्डर के और उम्मीदों के ...... इसी बात को कितने सहज ढंग से कह दिया है इस रचना में ....
अर्द्धरात्रि के अंधियारे में,
एक साल काल का डूबता।
क्षण में दूर क्षितिज से उसके,
नये साल का सूरज उगता।
सच है कि क्या बदल जाता है नए वर्ष में ? लम्हा लम्हा बीतता जाता है ..... कोई लम्हा ख़ुशी ले आता है तो कोई यूँ ही फिसल जाता है ....... एक सशक्त रचना पढ़िए ....
लम्हे लम्हे सिमटा जीवन
लम्हे लम्हे बिखरा जीवन
किसने पकड़े किसने जकड़े
लम्हे बहके लम्हे संभले
मन ही मन |
कुछ को मलाल कि साल बीत गया और हमने तो कुछ नया किया ही नहीं तो कुछ का कहना कि साल कहाँ बीतता है ..... हम बीतते जाते हैं ........ तो किसी की सोच कि ये साल गया और नया आया लेकिन क्या नया आता है ... वही सब तो चलता रहता है ........ एक के बाद एक पढ़िए ये रचनाएँ .....
आली ,मेरा हाल न पूछो
मन कितना बेहाल न पूछो .
बैठे ठाले खिसक गया
मुट्ठी से सिक्का , साल न पूछो .
बरखा में बूँद - बूँद कर, टपक रही है उम्र,
चुभती हवा में शिशिर की, सिहर रही है उम्र ।
फिर बसंत आगम पर रीझते हैं हम,
साल नहीं बीतता है, बीतते हैं हम !
क्यों इतना शोर?क्यों इतना बवाल?
वो गया साल! ये नया साल!
ना कुछ बदला,ना कुछ सुधरा,
बस वही भेड़ की भेड़चाल।
और इन सब रचनाकारों के अतिरिक्त भी कुछ अलग ही तरह की सोच से परिचित हुई हूँ कि वाकई क्या नया साल है भी या नहीं .....
झुग्गियों में भी कुछ, झालरें लग रहीं,
आ रही रोशनी, क्या नया साल है ?
प्रेम-सौहार्द से एक नौका सजी,
देश में बह रही, क्या नया साल है ?
बिलकुल नया साल है .... तभी तो नए साल से ये उम्मीद की जा रही है ......
गए साल जैसा न फिर हाल होगा,
तवक़्क़ो है अच्छा नया साल होगा।
सभी और देशों से ऊँचा जगत् में,
हमारे वतन का सदा भाल होगा।
नव वर्ष की शुभकामनाओं के बाद अक्सर लोग हाल चाल भी पूछ ही लेते हैं तो चलिए हम भी पूछ लेते हैं ......
अचानक जब कोई
रास्ते में मिल जाता है
और पूछता है ..
कैसे हो .....?
तो मैं कहती हूं
कि जैसे समुद्र की मौजें
हमेशा मौज -मस्ती में रहती हैं .
आज का यह अंक काव्य विधा को समर्पित है ...... रस से परिपूर्ण ...... इसी तरह आप सबके जीवन में भी रस रहे .....
एक सूचना - डॉ ० उषा किरण जी की एक नयी पुस्तक आई है " दर्द का चन्दन " आप चाहें तो पुस्तक परिचय या कहूँ कि समीक्षा यहाँ पढ़ सकते हैं .....
यूँ तो आज लोग काफी जागरूक हैं कैंसर के प्रति लेकिन जिस तरह से नायिका ने अपनी बीमारी के प्रति सजगता दिखाई वो बिरला ही कोई कर पाता है अन्यथा डॉक्टर के कह देने पर कि सब रिपोर्ट सही है ,निश्चिंत ही हो जाते हैं । यहाँ पर लेखिका यह संदेश दे रही हैं कि जब तक आप संतुष्ट न हों तब तक निश्चिंत न हों । इलाज से पहले ईश्वर के साथ संवाद नायिका के मन की दृढ़ता को दर्शाता है ।
इसी के साथ आज विदा लेती हूँ |
संगीता स्वरुप .
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंना कुछ बदला,ना कुछ सुधरा,
बस वही भेड़ की भेड़चाल।
बेहतरीन अंक
सादर नमन
बहुत शुक्रिया ।
हटाएंनववर्ष मंगलमय हो सभी के लिए सपरिवार | आभार संगीता जी |
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंसपरिवार सबके लिए हर पल मंगलकारी हो
जवाब देंहटाएंअद्भभुत प्रस्तुति
साधुवाद
हार्दिक आभार ।
हटाएंनववर्ष सभी के लिए मंगलमय हो ।मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया
हटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनववर्ष की सबको हार्दिक शुभकामनाएं
आभार।
हटाएंबहुत सुन्दर संकलन । नववर्ष सबके लिए मंगलमय हो ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ।
हटाएंनववर्ष की शुभकामनाएं।इस सुगंधित गुलदस्ते में एक मेरा भी फूल शामिल किया,उसके लिए आभार और धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंनए साल पर लोगों का अलग अलग नज़रिया देखने को मिला...आनंद आया।
आपको आनंद आया । मुझे खुशी हुई । आभार।
हटाएंबहुत बढ़िया चयन है.सभी रचाएं पढ़लीं. मेरी कविता भी है. धन्यवाद इसलिए भी कहती हूं कि इस बहाने दूसरे सुन्दर ब्लाग देखने मिल जाते हैं.
जवाब देंहटाएंगिरिजा जी ,
हटाएंआभार , आप सब लिंक्स पढ़ती हैं तो मुझे तो पुरस्कार मिल ही जाता है ।
आभार आपका।
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंबढ़िया लिंक
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंनव वर्ष की मंगल कामनाओं से सज्जित अंक की प्रेरक प्रस्तुति, आशा और उम्मीद की किरण बिखेर गई.. मेरी नजर ने भी कुछ महसूस किया.. दो शब्द मेरे भी इस अंक की सराहना में..
जवाब देंहटाएंआओ, मिल कर साथ चलें.. आदरणीय गिरीश पंकज सर की नव वर्ष पर सकारात्मक भाव संजोए अनुपम रचना ।
काल प्रवाह.. विश्वमोहन जी की नव वर्ष पर.. समय का सुंदर विश्लेषण दर्शाती उत्कृष्ट रचना।
लम्हें.. आदरणीय सुशील कुमार जोशी जी की लम्हों पर
अर्थपूर्ण,सुंदर कविता ।
गुजर गया जो साल.. गिरजा कुलश्रेष्ठ दीदी की.. जीवन के यथार्थ पर गहन दृष्टि को रेखांकित करती सुंदर रचना
साल नही बीतता है.. मीना शर्माजी की प्रस्तुति..जीवन का गहन अवलोकन करता सुंदर गीत ।
साल.. रश्मि ठाकुर की.. नए साल के हासिल पर,
सोचने पर मजबूर करती सराहनीय प्रस्तुति!
एक कामना नए साल में..ओंकार सिंह विवेक जी की सकारात्मक भाव संजोए सुंदर रचना।
कैसे हो ? सखी शुभा मेहता की सुंदर, सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती रचना।
उषा किरन दीदी के उपन्यास "दर्द का चंदन" की दीदी संगीता स्वरूप जी की सुंदर,सार्थक समीक्षा से पुस्तक का परिचय मिला ।
इन सभी एक से बढ़कर एक सूत्रों के मध्य मेरी रचना
"क्या नया साल है?" को स्थान देने के लिए आदरणीय दीदी का हार्दिक आभार और अभिनंदन।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
प्रोय जिज्ञासा
हटाएंनव वर्ष में मन को सुकून देती बेहतरीन प्रतिक्रिया मिली । हर रचना को पढ़ उस पर अपनी टिपण्णी दी है । रचनाओं पर तुम्हारे विचारों से भी अवगत हुई । बहुत आभार ।
प्रिय ****
हटाएंसर्दी में उँगलियाँ काम नहीं कर रहीं ।
आओ मिलकर साथ चलें
जवाब देंहटाएंतोड़ दे बाधा, विध्न हरें
प्रिय दी,
सभी को नववर्ष की शुभता से भरी मंगलकामना।
नववर्ष की शुभकामनाओं ,उत्साह और उमंगों से भरे
ये दो-चार शुरूआती दिन नहीं पूरा वर्ष यही सकारात्मकता बनी रहे यही कामना करती हूँ।
एक ही विषय पर सभी रचनाकारों के विविध विचारों और सृजनात्मकता पढकर बहुत अच्छा लगा।
रचनाओं को पढ़ते हुए-
---------
काल प्रवाह में क्या नया, क्या पुराना
एकमात्र सत्य जीवन-मरण, आना-जाना।
लम्हों से लबालब जग,जीवन का गीत
लम्हा-लम्हा रिसता घट जीवन का मीत।
कैसे हो? यह सिर्फ़ सवाल नहीं है
गुजर गया जो साल
कोई न पूछे उसका हाल,
साल नहीं बीतता है
स्मृतियों का जाल बीतता है।
साल पर बवाल
साल का हिसाब
क्या नया साल है?
मन पूछता सवाल है।
आओ मिलकर साथ चलें
तोड़ दे बाधा, विध्न हरें
एक कामना नये साल में
सर्वे भवन्तु सुखिनः हर हाल में...।
और आपके द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा
दर्द का चंदन बहुत अच्छी लगी।
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अगले सोमवारीय विशेषांक की प्रतीक्षा में
सप्रेम प्रणाम दी
सादर।
प्रिय श्वेता ,
हटाएंहमेशा की तरह गज़ब की प्रतिक्रिया ।
सभी लिंक्स को जोड़ते हुए कुछ खास कहती हुई रचना ।
बहुत आभार
नए वर्ष में संगीताजी की अपने खास अंदाज और विशिष्ट शैली की यह प्रस्तुति अत्यंत मनभावन लगी। बाकी जिज्ञासा जी की टिप्पणी ने सारी जिज्ञासाओं को शांत कर दिया। सभी रचनाकारों, पाठकों,पंचलिंकपरिवार के प्रिय सदस्यों और खासकर संगीताज़ी को नए वर्ष की विशेष शुभकामनाएं, आभार और बधाई!
जवाब देंहटाएंविश्वमोहन जी ,
हटाएंआपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ ।
आपकी विशेष प्रतिक्रिया के लिए आभार ।
नव वर्ष का आगाज सकारात्मक सोच के साथ..
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक बेहतरीन रचनाओं का संकलन दी। आपको और सभी ब्लोगर्स साथियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
हार्दिक आभार ।
हटाएंआदरणीया संगीता दीदी, मेरी रचना को आपके संकलन में स्थान मिला इससे मैं बहुत खुश हूँ। बहुत बहुत आभार दी। तीन दिन स्कूल में वार्षिकोत्सव है। कल अवश्य पढूँगी सभी रचनाएँ, और उन पर लिखूँगी भी जरूर। कितनी मेहनत से आप लोग ये लिंक्स लगाते हैं। कभी कभी मुझे आश्चर्य होता है आप लोगों की यह लगन और समर्पण देखकर। 2016 से ब्लॉग लिखना शुरू किया था। छः साल बीत गए। इन वर्षों में असीम प्यार मिला ब्लॉग जगत से। हमारा ये साथ आनेवाले बरसों में भी यूँ ही बना रहे, सभी प्रसन्न व स्वस्थ रहें। पाँच लिंकों की अपनी विशिष्ट पहचान इसी तरह बनी रहे। आप सब रचनाकारों एवं ब्लॉग साथियों को बहुत बहुत मंगलकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंवार्षिकोत्सव के बाद अवश्य पढ़ना । विद्यालय का कार्यक्रम खूब अच्छा हो ऐसी कामना है ।
हटाएंव्यस्त समय से कुछ क्षण चुरा कर यहाँ आयीं इसके लिए शुक्रिया ।
वही चिरपरिचित अंदाज में एक और नायाब प्रस्तुति । एक से बढकर एक लिंक्स एवं सभी पर हमेशा की तरह आपकी मनमोहक अनमोल समीक्षा को तो क्या ही कहने...बस नमन एवं अभिनंदन।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
प्रिय सुधा ,
हटाएंनव वर्ष की शुभकामना के साथ इस सराहना के लिए हार्दिक शुक्रिया ।
प्रिय दीदी,प्रिय मीना ने सच कहा कि आप सभी की लगन और मेहनत को नमन है।नये साल में भी आप सबकी ऊर्जा यूँ ही बनी रहे यही दुआ है।नये वर्ष की पहली प्रस्तुति मुबारक हो।मंच और रचनाओं के साथ पाठकों का साथ यूँ ही बना रहे।ये सौहार्द की चर्चा यूँ ही होती रहे।सभी सम्मिलित रचनाकारों को सादर नमन ।आपके साथ सभी के लिए नववर्ष शुभ हो, मंगलमय हो यही कामना है 🙏🙏🌹🌹🌺🌺
जवाब देंहटाएंप्रिय रेणु ,
हटाएंतुम सबकी दुआओं से बूढ़ी होती हड्डियों में भी ऊर्जा का संचार हो रहा 😆😆😆.
प्रस्तुति की सराहना के लिए हार्दिक आभार।
प्रिय दीदी,बूढे तो आपके दुश्मन (😄😄वैसे कोई होगा नहीं पर यदि कोई हो तो दुआ है)भी ना हों।आपकी ऊर्जा का समस्त ब्लॉग जगत कायल है।😃❤♥️♥️❤🙏
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