निवेदन।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 28 जनवरी 2023

3652... घोंघा

   

हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...

जिसको लाभ – हानि की कुछ समझ नहीं है वह बिलकुल घोंघा बसन्त है...

घोंघा : शब्दों का सफर

टर्नर के कोश में घेंटु यानी गला अथवा गर्दन का उल्लेख भी है और इसकी तुलना भी गले के घुमावदार उभार से की गई है। कण्ठ (गला ), गण्ड (उभार, ग्रन्थि), कण्ड (जोड़) जैसे शब्द एक ही कड़ी के हैं। गलगण्ड यानी गले का उभार। कई लोग इसे गले की घण्टी भी कहते हैं। घूर्णन (घुमाव), घूम, घूमना, घण्टा, घण्टी, घट, घाटी जैसे कई शब्दों में इसे समझा जा सकता है।

घोंघा : हिन्दी समय

करकट की छत के नीचे लगी प्लाई की फाल्स सीलिंग के बारे में उनका कहना था कि वह तो अंग्रेजों के घोड़ों के लिए भी 'आवश्यक आवश्यकता' की श्रेणी में आता होगा। वह न होती तो मई-जून के महीनों में, जब करकट की वजह से इन कमरों में अदृश्य आग जल रही होती, घोड़े शर्तिया बगावत कर बैठते और अंग्रेजों को यह साबित करने में अपने कई इतिहासकारों को झोंकना पड़ता कि चूँकि घोड़ों का सामंतवाद के साथ करीबी रिश्ता रहा है

घोंघा : बेचैन आत्मा

अब खाली हो

असहाय

खालीपन के

एहसास से परे

बन चुके हो

खिलौना

खेलते हैं तुम्हें

रेत से बीन-बीन

बच्चे

घोंघा : कविता कोश

कब तक केंकड़ों, साँपों और जोकों से

दुनिया बच पाएगी ?

खोल में छिपना अब बन्द करें,

सूमों में दंश भरें ।

घोंघा : बाल सजग

पानी में वह रहता था,

नहीं किसी से डरता था.....

तभी वहां आया एनाकोंडा,

तुरन्त निकला फोड के अण्डा....

अगर निगल जाता उसको,

उसका असली नाम था डिस्को...

>>>>>><<<<<<
पुनः भेंट होगी...
>>>>>><<<<<<

3 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमन
    सदा की तरह
    ज्ञानवर्धक अंक
    आभार
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  2. एक अभिनव और शानदार प्रस्तुति प्रिय दीदी।घोंघा शब्द के विभिन्न अर्थ हैरान कर गये।घोंघा के बारे में यही सुना था कि एक सीप अथवा शंख है।पर बहूअर्थी घोंघा का समस्त परिदृश्य स्तब्ध कर गया।हिन्दी समय की मर्मांतक कथा,समाज के एक ढके लिपटे कुत्सित सच से अवगत करा कर रौंगटे खड़े कर गयी।इतने सुन्दर लिंकों के साथ कई बहुत पुराने लिंकों पर भी जाना हुआ जहाँ रचनाओं पर विस्तृत टिप्पणियाँ मन को छू गई।इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद और प्रणाम प्रिय दीदी 🙏♥️♥️

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...