हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
जिसको लाभ – हानि की कुछ समझ नहीं है वह बिलकुल घोंघा बसन्त है...
टर्नर के कोश में घेंटु यानी गला अथवा गर्दन का उल्लेख भी है और इसकी तुलना भी गले के घुमावदार उभार से की गई है। कण्ठ (गला ), गण्ड (उभार, ग्रन्थि), कण्ड (जोड़) जैसे शब्द एक ही कड़ी के हैं। गलगण्ड यानी गले का उभार। कई लोग इसे गले की घण्टी भी कहते हैं। घूर्णन (घुमाव), घूम, घूमना, घण्टा, घण्टी, घट, घाटी जैसे कई शब्दों में इसे समझा जा सकता है।
करकट की छत के नीचे लगी प्लाई की फाल्स सीलिंग के बारे में उनका कहना था कि वह तो अंग्रेजों के घोड़ों के लिए भी 'आवश्यक आवश्यकता' की श्रेणी में आता होगा। वह न होती तो मई-जून के महीनों में, जब करकट की वजह से इन कमरों में अदृश्य आग जल रही होती, घोड़े शर्तिया बगावत कर बैठते और अंग्रेजों को यह साबित करने में अपने कई इतिहासकारों को झोंकना पड़ता कि चूँकि घोड़ों का सामंतवाद के साथ करीबी रिश्ता रहा है
अब खाली हो
असहाय
खालीपन के
एहसास से परे
बन चुके हो
खिलौना
खेलते हैं तुम्हें
रेत से बीन-बीन
बच्चे
कब तक केंकड़ों, साँपों और जोकों से
दुनिया बच पाएगी ?
खोल में छिपना अब बन्द करें,
सूमों में दंश भरें ।
पानी में वह रहता था,
नहीं किसी से डरता था.....
तभी वहां आया एनाकोंडा,
तुरन्त निकला फोड के अण्डा....
अगर निगल जाता उसको,
उसका असली नाम था डिस्को...
सादर नमन
जवाब देंहटाएंसदा की तरह
ज्ञानवर्धक अंक
आभार
सादर....
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक अभिनव और शानदार प्रस्तुति प्रिय दीदी।घोंघा शब्द के विभिन्न अर्थ हैरान कर गये।घोंघा के बारे में यही सुना था कि एक सीप अथवा शंख है।पर बहूअर्थी घोंघा का समस्त परिदृश्य स्तब्ध कर गया।हिन्दी समय की मर्मांतक कथा,समाज के एक ढके लिपटे कुत्सित सच से अवगत करा कर रौंगटे खड़े कर गयी।इतने सुन्दर लिंकों के साथ कई बहुत पुराने लिंकों पर भी जाना हुआ जहाँ रचनाओं पर विस्तृत टिप्पणियाँ मन को छू गई।इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद और प्रणाम प्रिय दीदी 🙏♥️♥️
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