।।प्रातःवंदन।।
" स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, नूतन-निर्माण लिये,
इस महा जागरण के युग में
जाग्रत जीवन अभिमान लिये !
दीनों दुखियों का त्राण लिये
मानवता का कल्याण लिये,
स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष!
तुम आओ स्वर्ण-विहान लिये।"
सोहनलाल द्विवेदी
बुधवार की भोर और प्रस्तुति में सम्मिलित लिंक पे नज़र डालें✍️
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दीप बुझाए हैं किसने
घृणा-द्वेष की दीवारों से
नींव हिलाई है जिसने।
कुरुक्षेत्र लगता मरघट सा
डाली के सब पुष्प झरे ..
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सबके आगे रहता पैसा
खूब हंसाता खूब रूलाता
सबको नाच नचाता पैसा
अपने इससे दूर हो जाते
दूजे इसके पास आ जा..
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मंगलामुखी – एक उजास ...!
डॉ॰लता अग्रवाल का उपन्यास हाथों में है। किन्नरों पर आधारित इस उपन्यास की प्रस्तावना पढ़ी, जिसमें पायल फाउंडेशन की डायरेक्टर, किन्नर गुरु, पायल सिंह ने लिखा है,
हमें न्याय दिलाता उपन्यास...!
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
सौ टका सच
जवाब देंहटाएंनाते रिश्ते इसके पीछे
सबके आगे रहता पैसा
बेहतरीन अंक
सादर
बढ़िया लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंhttps://www.youtube.com/watch?v=svRRJRDlI38
Good Post...
जवाब देंहटाएंHappy New Year
बहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सखी सादर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों से सजी प्रस्तुति प्रिय पम्मी जी।अन्तिम रचना खुली नहीं।सो समीक्षा से साक्षात्कार ना हो सका।केवल फोटो ही खुल पाती है।सोहन लाल द्विवेदी जी की रचना भूमिका को विशेष बना रही है।सभी रचनाकारो को नमन।आपको हार्दिक आभार 🙏♥️
जवाब देंहटाएंअब देखिए ..ठीक कर दी🙏सादर
हटाएंजी शुक्रिया पम्मी जी।पर सुबह से जो देख रहे हैं उन्होने क्या देखा???मैने सुबह ही देख लिया था पर लिख ना सकी।🙏
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