।।प्रातः वंदन।।
"भोर की लाली हृदय में राग चुप-चुप भर गयी !
विश्व आज देखे भारत को
एक नवल इतिहास बन रहा,
युगों-युगों से जो नायक था
पुनः समर्थ सुयोग्य सज रहा !
श्रीमती मिथिलेश दीक्षित द्वारा मधुदीप जी को भेजे गए प्रश्न व मधुदीप जी के उत्तर..
प्रश्न : हिन्दी की प्रथम लघुकथा, उद्भव कब से, प्रथम लघुकथाकार
उत्तर : हिन्दी की प्रथम लघुकथा किसे माना जाये ---इस विषय में मतभेद हैं | श्री कमल किशोर गोयनकाजी तथा अन्य कुछ
सादर शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक
स्तरीय रचनाओं के साथ
आभार
सादर
ऐसा क्या कर जाऊं मैं, जो तेरी नजर को भा जाऊं मैं .. सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! गणतंत्र दिवस व वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ, सुंदर प्रस्तुति, मन पाए विश्राम जहाँ को आज के अंक में स्थान देने हेतु आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी प्रस्तुति । आभार ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय पम्मी मेम,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना ब्लॉग को "जिससे हो जाए दिल को राहत" इस अंक में साझा करने के लिए बहुत ....धन्यवाद और आभार ।
सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है , सभी आदरणीय को बधाइयां ।
सादर।