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रविवार, 8 जनवरी 2023

3632 ..मूक प्राणियों का दर्द सहलाने वाले को सलाम

 सादर अभिवादन

सर्वप्रथम एक चित्र

बाकी सब बाद में
महसूस कीजिए 
मूक प्राणियों का दर्द सहलाने वाले को सलाम

अब रचनाएं देखिए

जीवन है ....रश्मिप्रभा


कभी झूठ नहीं बोलोगे
तो औंधे मुंह गिरोगे
या सत्यवादी हरिश्चंद्र की तरह
बिक जाओगे
... अब चयन तुम्हारा है
सत्य के लिए बिकना चाहते हो
या सत्य के लिए युद्ध करना चाहते हो !!!


इंसानियत का दुश्मन  ....मनीषा गोस्वामी


वाह रे मानव,
मानवता का दुश्मन है तू आज बना।
क्यों तू इंसान से है हैवान बना?
वाह! पत्थर पूजते पूजते
तू भी पत्थर बन गया।


पेट की आग ....अभिलाषा चौहान


भीषण शीत से
करते दो-दो हाथ।
उनके बहते श्वेद के समक्ष
सूर्य भी मान लेता हार
मौसम उनके लिए
कहां होते हैं...!!
उनके लिए होती है
पेट की आग ..…


ऋणमुक्ति .. - - शान्तनु सान्याल


मुस्कुराता है हर हाल में जीवन दर्पण,
सुदूर मुहाने पर नदी का मौन
समर्पण, ऋणमुक्त का
सुख होता है परम
सुख, जिसका
जितना हो
तक़ाज़ा
उसे
उसका उचित भाग करें अर्पण


प्रेम स्वप्न बन कर पलता है ....अनीता जी निहलानी



हर पल कोई साया बनकर
सदा साथ ही जो चलता है,
प्रेम हमारा अनुपम रक्षक
प्रेम स्वप्न बन कर पलता है !


कौन विशेष है! ....पुरुषोत्तम सिन्हा



कौन यहां, विशेष है?
सब, बहते वक्त के अवशेष हैं!
कुछ बीत चुके, कुछ बीत रहे,
कुछ शेष है!
कौन यहां, विशेष है?
............
एक छोटी सी मुस्कुराहट
क्षमायाचना सहित
..................

एक छोटा सा विज्ञापन

यहां पर प्रेक्टिकल सुविधा नहीं है

आज बस
सादर


12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात आदरणीया दीदी
    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात! मूक प्राणियों का दर्द समझने और उसका उपाय ढूँढने वाले की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। सुंदर रचनाओं के एक गुलदस्ते के रूप में आज का पाँच लिंकों का अंक सराहनीय है। आभार यशोदा जी, 'मन पाए विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु!

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी रचनाएँ बहुत ही सरहानीय है!
    हृदयस्पर्शि रचना ❤
    भीषण शीत से
    करते दो-दो हाथ।
    उनके बहते श्वेद के समक्ष
    सूर्य भी मान लेता हार
    मौसम उनके लिए
    कहां होते हैं...!!
    उनके लिए होती है
    पेट की आग ..…💜❤


    मेरी रचना को पांच लिंकों में शामिल करने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕

    जवाब देंहटाएं
  4. ह्रदय स्पर्शी रचनाएं

    जो बोल कर अपना दर्द बयां कर देते वो मनुष्य और जो मनुष्य मूक प्राणियों का दर्द समझ सके वो मनुष्य के रूप में मसीहा।

    सत्य के लिए बिकना तो वर्तमान परिपेक्ष में बहुत दूर की बात है, आजकल लोग बड़ी आसानी से असत्य बोलकर सहज ही आगे बढ़ जाते, बिना किसी मलाल।

    भीषण शरद में पेट की आग।

    सुंदर गुलाब सी सुंदर रचना।

    प्रेम ही साकार है, प्रेम निर्विकार है।

    कौन यहां विशेष है, एक आसमान के नीचे एक धरती के ऊपर तुम हम हम तुम।

    जवाब देंहटाएं
  5. लाजवाब प्रस्तुति सभी लिंक्स उम्दा एवं पठनीय।
    मूक प्राणियों के सहायतार्थ किया ये इनोवेशन वाकई महान एवं प्रशंसनीय है , तस्वीर शेयर करने हेतु धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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