बेटा !
भूल कर कि ..
उचित है या अनुचित ये,
दस वर्ष की ही
तुम्हारी छोटी आयु में,
शवयात्रा में
तुम्हारे दादा जी की,
शामिल कर के
आज ले आया हूँ मैं
श्मशान तक तुम्हें।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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बहुत अच्छी सामयिक हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छा लिंक संयोजन। 👌👌👌
जवाब देंहटाएंपिता को समर्पित हृदयस्पर्शी रचनाओं का उन्दा अंक सहेजा है आपने आदरणीय दी,हमें तो ये पता ही नहीं चलता कि "कब पिता का दिन है कब माँ का " वो तो बच्चे याद दिलाते है। हमारी पीढ़ी के लिए तो हर दिन मात-पिता को नमन करने का दिन होता है। वैसे अच्छा है इसी बहाने उनको गुणों का गान कर लेते है हम सब। आप सभी को पितृदिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपिता दिवस पर शुभकामनाएं
यूँ तो हर दिन पिता का है।उनकी महिमा को शब्दों में सहेजना नामुमकिन है फिर भी बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण रचनाओं से सजे अंक के लिए बधाई और आभार प्रिय दीदी।सभी रचनाकारों और पाठकों को पितृ दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏🌹🌹🌺🌺
जवाब देंहटाएंhttps://renuskshitij.blogspot.com/2018/06/aaaaaa-aaa-aaaa-aa.html