नमस्कार ! आज पुनः सूचना लगा रही हूँ ......... जिन ब्लॉगर्स को यदि जानकारी नहीं है वो ध्यान दें .....
रविन्द्र प्रभात जी एक जाने माने ब्लॉगर रहे हैं । उन्होंने परिकल्पना की शुरुआत की थी । प्रति वर्ष किसी न किसी ब्लॉगर को अलग अलग विधा में अलग अलग पुरस्कार भी मिलते रहे हैं । अब उनकी योजना है कि एक परिकल्पना कोश बनाया जाय जिसमे ब्लॉग और ब्लॉगर्स के नाम दर्ज़ हों , यानि कि ऐसा कोश जहाँ सभी ब्लॉगर्स का अता- पता मिल जाये । रश्मि प्रभाजी को ब्लॉग्स के लिंक इकट्ठे करने का काम सौंपा गया है । उनकी तरफ से ये सूचना मैं यहाँ लगा रही हूँ -
परिकल्पना कोश के निर्माण के प्रथम चरण में
पिछले तीन दशक में ब्लॉग पर शानदार उपस्थिति दर्ज कराने वाले ब्लॉगर बंधुओं को रेखांकित करने का कार्य शुरू करते हैं।
इसमें शामिल होने के लिए कृपया अपने नाम के साथ ब्लॉग का नाम,कब बनाया, उद्देश्य क्या था लिखकर और साथ में ब्लॉग के किसी खास पोस्ट के साथ rasprabha@gmail.com पर यथाशीघ्र भेजें ।
यहाँ कुछ बातें स्पष्ट कर दूँ कि
1 -ये कार्य ब्लॉग्स को एक जगह एकत्रित करने का है ।
2- पोस्ट जो भेजी जाय वो छोटी होनी चाहिए । यदि लम्बी पोस्ट है तो केवल लिंक भेजें ।
3 - प्रयास करें कि 10 दिन के अंदर ही अपने ब्लॉग के बारे में जानकारी दे दें ।
यदि किसी को और कुछ जानकारी चाहिए तो कमेंट में पूछ सकते हैं । जवाब भी आपको अगले दिन यहीं कमेंट में मिलेगा ।
आशा है आपमें से बहुत से ब्लॉगर्स ने अपने ब्लॉग की जानकारी दे दी होगी ........
अब चलते हैं आज की प्रस्तुति पर ......... देखते हैं कुछ चुने हुए लिंक्स .......... वैसे आज कल ब्लोग्स पर पोस्ट कुछ कम आ रही हैं ........ नए ब्लॉगर्स से उम्मीद बंधी थी लेकिन वो भी तो अब पुराने हो गए न .........लेकिन एक अच्छी बात हो रही है की कुछ पुराने ब्लॉगर्स अपने ब्लॉग पर अपनी पोस्ट डाल रहे हैं और निरंतर सक्रीय हैं ........ब्लॉग्स पर भ्रमण कम है लेकिन अपने ब्लॉग पर पोस्ट डाल रहे हैं .......... इसी सिलसिले में संध्या शर्मा जी ने ब्लॉग पर पंख फैलाए हैं और लायी हैं बेहतरीन .....
वो तन्मयता से मेरे पांवों को
महावर से सजाना तुम्हारा
मेरे आंचल को सलीके से संवारना
हर पूजन अनुष्ठान में
मुझे सम्मान देकर
अनुगामी बनना तुम्हारा
संध्या शर्मा जी की ये रचना चित्रों पर आधारित है ...... अर्थात चित्रों को शब्द का ताना बना पहनाया गया है ......... लेकिन ये शब्द क्या क्या भाव रखते हैं इनको जानना है तो पढ़िए रेखा जी की रचना .....
मैं शब्द हूँ,
उमड़ता हूँ दिमाग में
कभी कल्पना से,
कभी साक्षी बनने से
कभी तो भोक्ता भी होता हूँ,
लीजिये शब्दों ने कह दिया कि क्या क्या भाव रखते हैं ..... लेकिन लोगों के मन में क्या क्या भाव रहते हैं इनसे सावधान होना ज़रूरी है ..... और सोशल मिडिया पर क्या क्या होता है ज़रा एक निगाह डालें ....
एक भाई साहब ने मुझे फेसबुक पर मित्रता निमंत्रण भेजा | जर्मनी में ह्रदय रोग के डॉक्टर हैं और पूरे जर्मनी में इनको मित्रता के लिए सोशल मिडिया पर कोई नहीं मिला और मुझे मित्र निवेदन भेज दिए हैं | इनके हजारो मित्रो में ज्यादातर अफ़्रीकी और दो चार भारतीय लोग ही दिख रहें हैं | ये किसी अफ़्रीकी देश में बना फर्जी प्रोफ़ाइल हो सकता हैं | जो लॉटरी जीताने या चाचा की संपत्ति दान करने जैसे कांड के लिए बना होगा |
फेक प्रोफाइल की बातों से ज़रा बच कर रहिये ....... क्यों कि इनके द्वारा फैलाया हुआ भ्रम मन में कडवाहट ही भरता है ....... आज कल न जाने हमें क्या क्या परोसा जा रहा है ...... फिर भी बहुत कुछ है जो नहीं मिलता ....... और इसकी जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर दाराल ..........
विकास ने लोगों की जिंदगी में, कर दिया ऐसा परिवर्तन,
कि तमाशा देखती गूंगी भीड़ में, वो मददगार नहीं मिलते।
लीजिये भाई ..... यहाँ तो लोग नहीं मिलते और आज कल बच्चों की फरमाईश है कि उनको क्लोन चाहिए ......... एक रोचक बाल कथा डॉक्टर जाकिर रजनीश लाये हैं ......
रवि हैरान था। यदि वह संसार का आठवां आश्चर्य भी देख लेता, तो शायद उसे इतनी हैरानी तब भी नहीं होती, जितनी सामने के दृश्य को देख कर हुयी थी। ये ... ये ... कहीं भूत तो नहीं?
और रवि का सारा शरीर भय से कांप उठा। डर के कारण उसके शरीर के रोएं खड़े हो गये और आवाज जम गयी। लेकिन इससे पहले कि वह चीखता, उसके पापा सामने आ खड़े हुए।
देर आये दुरुस्त आये ....... एक बच्चा तो सीख ले लेता है लेकिन हम बड़े कब सीखेंगे ...... वैसे नहीं सीखे तो नुक्सान हमारा ही है ..... नूपुरं आह्वान कर रही हैं .........
चलो रोपते हैं एक पौधा । उम्मीद का ।
बरसों बाद जिसकी ठंडी छांव में बैठा
कोई थका-हारा हो कृतज्ञ देगा दुआ ।
शायद वो भी फिर रोपेगा एक पौधा
कितनी अच्छी बात कही है कि आज हम एक पौधा रोपेंगे तो हो सकता है आगे की पीढ़ी भी इस बात का ख्याल करें ......... लेकिन क्या करें हर एक के मन में तो स्वार्थ ने जगह बना ली है ..... जिज्ञासा जी इसी बात को इंगित कर रही हैं .......
रो रही है बेल बूढ़ी देखकर सब
सात पुश्तों से खड़े बागों का सौदा ॥
दूध जिसको था पिलाया लिपटकर
कर गए हैं वो ही औलादों का सौदा ॥
अब जब सौदे की बात है तो देखिये की गरीबी में बच्चों के श्रम का कैसे सौदा होता है ....... सरकारी आंकड़े इकट्ठे होते हैं लेकिन गरीब कैसे ज़िन्दगी यापन करे ? एक लघु कथा मीना भारद्वाज जी की .......
चालक ने पूर्ववत अपना काम करते हुए कहा - “आप क्या करेंगी जानकर …, मेरी उम्र अट्ठारह साल है । आज गली-गली कुछ लोग फ़ाइलें लिए घूम रहे हैं । कहते हैं - “बालश्रम अपराध है ।”
ऐसे ही हर एक के जीवन में उथल पुथल चलती रहती है ....... लेकिन ज़िन्दगी का एक ही साश्वत सत्य है की जो आया है उसे जाना है ....... इसी भाव को अनुराधा जी ने शब्द दिए हैं .....
अब मुझे लग रहा कि लिंक्स का चक्र भी पूरा हो गया है।
चलते चलते एक और बेहतरीन लिंक जो पर्यावरण से संबंधित है ......
सच तो यह है कि
हमने
घर के भीतर से
निकलने और लौटने का रास्ता
अपनों को ही काट कर बनाया है----
.......... तो अब यहीं विराम ........ मिलते हैं अगले सोमवार को कुछ मेरी पसंद के लिंक्स के साथ ........... तब तक के लिए नमस्कार .
संगीता स्वरुप .
बेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंये लघुकथा अच्छी लगी
चालक ने पूर्ववत अपना काम करते हुए कहा - “आप क्या करेंगी जानकर …, मेरी उम्र अट्ठारह साल है । आज गली-गली कुछ लोग फ़ाइलें लिए घूम रहे हैं । कहते हैं - “बालश्रम अपराध है ।”
सादर आभार आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी .
हटाएंआभार
हटाएंसुन्दर रचनाएं
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर नमन
हार्दिक धन्यवाद
हटाएंप्रिय दीदी, बहुत सुन्दर प्रस्तुति के साथ आपको लगातार देखना अच्छा लगा रहा है।आज की सभी रचनाएँ देखीं।कुछ पर प्रतिक्रिया बाद में दूँगी।यहाँ अभी लिखना जरुरी है ,क्योंकि बाद की लिखी टिप्पणी शायद ही कोई पढ़ता होगा 🙂पिछ्ले कुछ दिनों से कुछ घरेलू परिस्थितियों की वजह से ब्लॉग पर ज्यादा आ नहीं पाती जिसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।सोशल मीडिया के फर्जी खातों पर अंशुमाला जी का लेख सब पढें और गद्य रचनाएँ सभी अच्छी हैं वैसे तो! पर्यावरण संरक्षण दिवस बीत गया।हम छोटी-सी पहल जब तक नहीं करते,इस दिन को मनाना प्रलाप मात्र है।और आपकी ओर से परिकल्पना कोश
जवाब देंहटाएंसम्बंधी जानकारी मिल गयी थी पर काफी दिनों से सासू माँ अस्वस्थ हैं ।उनके जल्द ठीक होते ही भेजती हूँ मैं भी सभी जानकारी।आज की चुनी गयी सभी रचनाओं को पढ़ कर अच्छा लगा।सभी रचनाकारों को सादर नमन और बधाई।आपको विशेष आभार और वो भी हार्दिक प्यार वाला।🙏🙏
पर्यावरण दिवस के बहाने कुछ पंक्तियाँ बचपन के बिछडे साथी (एक पेड़ )के नाम ---
हटाएंएक पेड़ था गली के
इस मोड़ पर कभी ,
जहाँ बनाती थी घर चिड़ियाँ
तिनके तोड़कर कभी !
जो दादा - परदादा जी से भी बड़ा था ,
फिर भी अपने चिर यौवन के साथ खड़ा था ,
टूटी टहनियों का ना शोक मनाता था
नई कोपलों पे पर करता जश्न बड़ा था !
ना इतराया कभी किसी से होड़ कर कभी
पेड़ तले खूब सजती थी
भाईचारे की महफिलें
हँसते-हँसते जहाँ दुश्मन भी
जाते थे गले !
ये स्नेह भरी छाँव रखती थी
हर दिल जोड़कर कभी!
इक दिन ये पेड़ कट गया
इक रस्ते के नाम पर!
दो आँसूं भी ना बहा सका
कोई इसके नाम पर
विदा हुआ जब ये मतलबी जहान से
चले दिए इससे मुँह मोड़ कर सभी!!
🙏🙏😔🙏🙏
बहुत सुंदर
हटाएंसुंदर, सराहनीय ।
हटाएंप्रिय रेणु ,
हटाएंआज त्वरित प्रतिक्रिया मिली , सच बात है कि प्रतिक्रियाओं से मन में ऊर्जा का संचार होता है ।।नियमित रहने की कोशिश करती हूँ । मुझे भी यूँ व्यस्त रहने अच्छा लगता है । प्रस्तुति पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
पेड़ की व्यथा को जो शब्द दिए वो बेहतरीन हैं । संदेशात्मक रचना ।
बेहतरीन सूत्रों से सजा पुष्पगुच्छ सा संकलन ।
जवाब देंहटाएंसंकलन में “सर्वे” को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार . सादर..,
हार्दिक धन्यवाद मीना ।" सर्वे " एक अच्छी लघु कथा लिखी । ज़हमिल होना ही था ।
हटाएंइस उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से शुक्रिया आ . दीदी !
हटाएंशामिल *** होना ही था ।
हटाएंपढ़ते हैं।
जवाब देंहटाएंआभार ।
हटाएंउम्दा लिंक्स का चयन... साधुवाद
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद विभा जी ।
हटाएंबहुत शुक्रिया संगीता दी।
जवाब देंहटाएंआदरणीया रश्मि प्रभा दीदी का भी बहुत आभार कि वे इस श्रमसाध्य कार्य को अंजाम देने में जुटी हुई हैं। परिकल्पना कोश एक महत्त्वपूर्ण उपक्रम साबित होगा हम ब्लॉगर्स के लिए। सुंदर अंक एवं लाजवाब प्रस्तुति।
प्रिय मीना , अपने ब्लॉग के विषय में शीघ्र ही सूचना रश्मि जी के पास भिजवायें । प्रस्तुति की सराहना हेतु धन्यवाद ।
हटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार दीदी👏💐
जवाब देंहटाएंआज के अंक के हर सूत्र पर गई, सभी रचनाओं को पढ़ा । विविध रचनाओं से सजा पठनीय और श्रमसाध्य संकलन है आज का । हर रचना से कुछ न कुछ सीखने को मिला ।
मेरे लिए सबसे अच्छी बात ये रही कई ब्लॉग से परिचय होना । मैंने परिकल्पना कोश के लिए में कर दिया है । आपका और आदरणीय रश्मिप्रभा दीदी का आभार एवं अभिवादन ।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी।
जवाब देंहटाएंआज के अंक के सभी सूत्रों पर गई, विविधता से सजा सुंदर पठनीय और श्रमसाध्य संकलन।
हर रचना से कुछ न कुछ सीखने को मिला । मेरे लिए अच्छी बात रही कई नए ब्लॉग्स से परिचय होना और जानना ।
पर्यावरण दिवस पर इतने सारगर्भित संकलन के लिए बहुत बधाई दीदी।
परिकल्पना कोश के लिए मैंने जानकारी मेल कर दी है, इस सुंदर कार्य के लिए रश्मिप्रभा दीदी और आपका आभार और अभिनंदन।
सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 🌳🌴🌲👏
ब्लॉग की सूचना देने के लिए शुक्रिया । मुझे ये लग रहा है कि यहाँ सूचना देना काफी लाभप्रद रहा है । आभार
हटाएंबहुत बहुत आभार। चर्चा का यह अंदाज़ बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंचर्चा की सराहना के लिए हार्दिक आभार ।
हटाएंबढ़िया लिंक्स ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ।
हटाएंवाह!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । परिकल्पना कोष के निर्माण के बारे में जानकर हर्षित हूँ ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद । अपने ब्लॉग की सूचना रश्मि जी को अवश्य दें ।
हटाएंबहुत खूबसूरत अंदाज से सजाया है आपने लिंको का यह गुलदस्ता। मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया दी। कोशिश रहेगी हर ब्लॉग तक पहुंच सकूं।
जवाब देंहटाएंसंध्या ,
हटाएंप्रस्तुति की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद । अब ब्लॉग पर भी नियमित रहना ।
सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
हटाएंआपकी विशाल हृदय प्रस्तुति सच मन खुश कर देती है आदरणीय संगीता जी।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक एक से एक👌सभी रचनाकारों को बधाई।
आज का अंक बेहतरीन रहा।
सादर सस्नेह।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार , कविता जी ।
हटाएंजी दी,
जवाब देंहटाएंसकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण आपकी उपस्थिति नवीन उत्साह का संचार करती है।
बेहद सुंदर, विविधापूर्ण ,पठनीय सूत्रों से सजी प्रस्तुति पढ़ना आनंददायक है।
सभी रचनाओं के साथ आपकी विशेष प्रतिक्रिया मुझे अति प्रिय है।
सराहना के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं।
रचनाओं के संदर्भ में -
बोलते चित्रों के भावों का अनुवाद
करने में परवाज़ भरते सोचती हूँ
मैं क्या हूँ?
मन मुताबिक लोग अब नहीं मिलते
फेक प्रोफाइल से बच के रहिये
कोई आपका क्लोन बना न दे
सर्वे विचारणीय है
चलो रोपते हैं एक पौधा
विकलांग पेड़ों से गुजरते हुए
साँसों का सौदा और
जीवनचक्र का गहन मर्म समझ आया।
----
अगले विशेषांक की प्रतीक्षा में
सप्रेम प्रणाम दी
सादर।
प्रिय श्वेता ,
जवाब देंहटाएंअब मेरे पास भी शब्द कम पड़ रहे हैं आभार प्रकट करने के लिए .....
सारे लिंक्स को संकलित कर सुंदर और अर्थपूर्ण रचना बन गयी है । लाजवाब 👌👌👌👌👌
भारी मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित करती हुई अति सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं😄😄 पिछले दिनों सुना था कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गयी थी , यहीं से सप्लाई कर देंगे ।
हटाएंवैसे मुझे ऑक्सीजन देने के लिए आभार ।
लाजवाब प्रस्तुति, बिल्कुल आपकी अनोखी स्टाइल वाली।
जवाब देंहटाएंविश्व मोहन जी ,
हटाएंहार्दिक आभार । 🙏
सार्थक और सुंदर सूत्र संयोजन के लिए साधुवाद
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सार्थक और सुंदर सूत्र संयोजन के लिए साधुवाद
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
बहुत ही मोहक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
हटाएंहमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बेहद उम्दा एवं पठनीय ।
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
सराहना हेतु हार्दिक धन्यवाद
हटाएंबढ़िया लिंक्स....साधुवाद _/\_
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया
हटाएंसुंदर सार्थक सूत्र संयोजन के लिए
जवाब देंहटाएंसाधुवाद आपको
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
आभार 🙏🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर एक से बढ़कर एक सभी लिंक. सन्ध्या ने मेरा अनुरोध मान कर चित्र पर प्रेममय दाम्पत्य को दर्शाती बहुत सुन्दर कविता परवाज लिखी है, आभार सन्ध्या जी, रेखा जी की कविता मैं क्या हूँ…फेक आई डी से सचेत करती अन्शुमाला की रचना…डॉक्टर दाराल जी की ग़ज़ल- नहीं मिलते…डॉक्टर जाकिर की बाल विज्ञान कथा…नूपुर जी की -चलो रोपते हैं एक पौधा…जिज्ञासा जी की कविता साँसों का सौदा…मीना भारद्वाज की सुन्दर लघुकथा, सर्वे…अनुराधा जी की कविता जीवन चक्र… ज्योति खरे की कविता विकलांग पेड़ों के पास से गुजरते हुए…सभी रचनाएं सराहनीय👌👌सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई💐💐
जवाब देंहटाएंक्या बात , क्या बात , क्या बात ....... सब लिंक्स पढ़ कर जो प्रतिक्रिया मिलती है वो अतुलनीय होती है । सभी लिंक्स पर विशेष टिप्पणी के लिए आभार ।।
जवाब देंहटाएंमैंने कल इस पोस्ट पर टिप्पणी की थी वो अब नहीं दिख रही संगीता जी देखिएगा।
जवाब देंहटाएंबहुरंग, विविधता, सुंदर व्याख्यात्मक टिप्पणी हर पोस्ट पर बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सादर सस्नेह।
आपके द्वारा की कल की टिप्पणी तो नहीं दिखी । लेकिन आपकी अब उपस्थिति तो दर्ज हो गयी । सराहना हेतु आभार ।।
हटाएंकल में सभी पोस्ट पर टिप्पणी कर के आई थी प्रायः सब हैं दो जगह वो भी गायब हैं।
जवाब देंहटाएं