।।प्रातः वंदन ।।
जब कपोलगुलाब पर शिशु प्रात के
सूखते नक्षत्र जल के बिन्दु से;
रश्मियों की कनक धारा में नहा,
मुकुल हँसते मोतियों का अर्घ्य दे;
स्वप्न शाला में यवनिका डाल जो
तब दृगों को खोलता वह कौन स्वप्न
महादेवी वर्मा
हँसते मोतियों को अर्ध्य दें..इन्हीं सुकोमल पंक्तियों के बीच कुछ पल बिताइए चुनिंदा लिंकों पर...✍️
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रंजिश
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तुमको पाती प्रिये....
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धर्म : विभा रानीश्री
"हम पशुपतिनाथ मन्दिर जा रहे हैं। क्या आप भी चलेंगे?" अख़्तर से रवि ने पूछा।
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में भारत से आये प्रतिभागी नेपाल दर्शन को निकले थे।
"मन्दिर के प्रवेश द्वार पर 'गैर हिन्दू का प्रवेश वर्जित' है का बोर्ड लगा हुआ है!" प्रदीप ने कहा
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एक देशगान -हर बच्चा गोरा -बादल हो
फिर सरहद पर
हो शंखनाद
तुरही, नक्कारा, मादल हो.
इस भारत माँ
की मिट्टी में
हर बच्चा गोरा -बादल हो...
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।। इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
बेहतरीन अंक..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
बहुत बहुत धन्यवाद मुझे इसमें शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स का चयन ।
जवाब देंहटाएंमहादेवी वर्मा जी की कविता से प्रारम्भ कर मेरा दिन बना दिया ।
सस्नेह ।
अद्भुत संकलन आज का! आभार और बधाई!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर पंक्तियों से अंक का प्रारंभ। अत्यंत खूबसूरत रचनाओं के बीच मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीया पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका 8जून को सालगिरह थी व्यस्त था काशी में विलम्ब के लिए क्षमा. सादर अभिवादन
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