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गुरुवार, 23 जून 2022

3433..बूँदों की सरगोशी सुनकर सोंधी मिट्टी महक उठी...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीया सुधा देवराणी जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के साथ हाज़िर हूँ।  

नदिया ज्यों नदिया से मिलती

तू बुला रहा हर आहट में

हर चिंता औ' घबराहट में,

तूने थामा है हाथ सदा

आतुरता नहीं बुलाहट में !

बरसी अब ऋतुओं की रानी

गर्मी से कुछ राहत पाकर

दुनिया सारी चहक उठी

बूँदों की सरगोशी सुनकर

सोंधी मिट्टी महक उठी

1045-अगर मेरी मानो

यह जीवन सारा

वसीयत में

तुम्हारे नाम पर

मैंने क्यों लिखा

जिस- जिसको दिखा

हस्ताक्षर में

मेरी लिखावट का

पुख्ता निशान

चैल, शिमला के पास एक सुंदर, शांत हिल स्टेशन --

आप चैल से शिमला घूमकर भी शाम तक वापस आ सकते हैं। रास्ते में एक चोटी पर स्टोन टेम्पल बना है, जहां तक पहुंचने में आपकी ड्राइविंग स्किल्स का पूरा इम्तिहान हो जाएगा। शिमला के रास्ते मे कुफरी भी आता है, जहां आपको भीड़ के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन कोई बात नहीं, वहां आप सरकारी कैफे में कॉफी पीकर आगे बढ़ सकते हैं।

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस: बुद्धि और चेतना क्या टकराएंगी?

यह तकनीक मनुष्य के मस्तिष्क में काम करने वाले करोड़ों-अरबों न्यूरॉन्स की डीप लर्निंग के सिद्धांत पर काम करती है। शुरू में लगता था कि इसकी भी सीमा है, पर हाल में विकसित फाउंडेशन मॉडल्स ने साबित किया है कि पहले से कई गुना जटिल डीप लर्निंग सम्भव है। आप कम्प्यूटर पर जो वाक्य लिखते हैं, उसे व्याकरण-सम्मत आपका कम्प्यूटर बनाता जाता है। आप चाहते हैं कि आपके आलेख का अच्छा सा शीर्षक बन जाए, बन जाएगा। लेख का सुन्दर सा इंट्रो बन जाएगा।

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


6 टिप्‍पणियां:

  1. वर्षा के मौसम की शीतलता, पहाड़ों की सैर, प्रेम निवेदन और कृत्रिम बुद्धि की बारीकियों को समझाते पठनीय लिंक्स से सजी हलचल, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति उत्कृष्ट एवं पठनीय लिंक्स।
    मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.रविन्द्र जी !
    सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं

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