शीर्षक पंक्ति:आदरणीया सुधा देवराणी जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
तू बुला रहा हर आहट में
हर चिंता औ' घबराहट में,
तूने थामा है हाथ सदा
आतुरता नहीं बुलाहट में !
दुनिया सारी चहक उठी
बूँदों की सरगोशी सुनकर
सोंधी मिट्टी महक उठी
यह जीवन सारा
वसीयत में
तुम्हारे नाम पर
मैंने क्यों लिखा
जिस- जिसको दिखा
हस्ताक्षर में
मेरी लिखावट का
पुख्ता निशान
चैल, शिमला के पास एक सुंदर,
शांत हिल स्टेशन --
आप चैल से शिमला घूमकर भी शाम तक वापस आ सकते
हैं। रास्ते में एक चोटी पर स्टोन टेम्पल बना है, जहां तक पहुंचने में आपकी ड्राइविंग स्किल्स का
पूरा इम्तिहान हो जाएगा। शिमला के रास्ते मे कुफरी भी आता है, जहां आपको भीड़
के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन कोई बात नहीं, वहां आप सरकारी कैफे में कॉफी पीकर आगे बढ़ सकते
हैं।
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस: बुद्धि और चेतना क्या टकराएंगी?
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
शानदार अंक...
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवर्षा के मौसम की शीतलता, पहाड़ों की सैर, प्रेम निवेदन और कृत्रिम बुद्धि की बारीकियों को समझाते पठनीय लिंक्स से सजी हलचल, आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति उत्कृष्ट एवं पठनीय लिंक्स।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.रविन्द्र जी !
सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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