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मंगलवार, 7 जून 2022

3417 ...आग जलती रहे भीतर इश्क़ की सदा

सादर अभिवादन.....
शब्दों पर ध्यान दें 
शब्दों को पहचान दें 
ऊंची लंबी उड़ान दें 
शब्दों को आत्मसात करें 
उनसे उनकी बात 
शब्दों का आविष्कार करें  
गहन सार्थक विचार करें



शब्दों को चुन कर
सहेजा एकत्र किया
प्रेम के धागे में पिरो कर
माला बनाई प्यार से
सौरभ से स्निग्ध किया
खुशबू फैली सारे परिसर में





हम वह आकाश हैं जो कभी मिटता नहीं
उसी आकाश को लाके ओढ़ाया है

आग जलती रहे भीतर इश्क़ की सदा
रुलाया लाख पर इसने ही हँसाया है





कुछ साल पहले एक लेख पढ़ा था कि वैज्ञानिको की एक संस्था ने मांग की हैं कि अब मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 98.6 से कम करके 97. 7-8 कर देना चाहिए | इसके पीछे उनका तर्क था कि अब दुनियाँ में वेक्सिनेशन , साफ सुथरा खाना पीना , अच्छा पोषण आदि इतना बढ़ गया कि अब शरीर को वायरस आदि से बचाने के लिए अपना सामान्य तापमान पहले की तरह नहीं रखना पड़ता हैं उससे कम रखता हैं |



कहती है दुनिया ये सारी,
मनु तन पुण्य से उपजा है,
कोख बिना ये असंभव था,
प्रभु पर भी माँ का क़र्ज़ा है,
शब्द नहीं जो गुण गायें,
माँ से न कोई निर्मल है,
विश्राम माँ का आँचल है।।




आलू से सोना निकालने वाली मशीन का झांसा एकाध बार चुनाव तो जितवा सकता है मगर किसान के घर चूल्हा नही जलवा सकता. उसका कर्जा नहीं माफ करवा सकता.

शास्त्रों में भी कहा गया है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत अर्थात यहाँ भी इसी बात पर जोर है कि अहसासने की बात है और उसे उस रुप में ग्रहण करने के लिए तैयारी की बात है. अगर -२५ महसूस कर रहे हो तो वैसे गरम कपड़े पहनों. -१२ महज आंकडा है उस पर न जाओ.



अंतस्तल के सर्वोच्च आसन पर
तुम सामान्य सी माला के मोती नहीं
तुम रुद्राक्ष हो ! एक अनमोल रुद्राक्ष !
मेरे जीवन का सबसे मूल्यवान उपहार




मैं तो ऐसी नगीना थी ऐ संग दिल
तराशकर हीरे सा तुम निखारे तो होते

आती अवरोधों की तोड़ जंजीरें सब
कभी आवाज़ दे तुम पुकारे तो होते ,
टूटे दिल की किरिचें संभाले है रखा
जोड़कर रेज़ों को तुम निहारे तो होते

आज अतिक्रमण हो गया
बस अब और नहीं
सादर


7 टिप्‍पणियां:

  1. ढाई अक्षर पर दुनिया कायम है
    प्रेम भी है
    शब्द भी है... और
    पत्नी भी है
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात! पठनीय और विविधता पूर्ण रचनाओं के लिंक्स, बहुत बहुत आभार यशोदा जी, मुझे भी आज के अंक में शामिल करने हेतु !

    जवाब देंहटाएं
  3. अतिक्रमण भी सार्थक हुआ ।
    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी रचना को भी स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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