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मंगलवार, 1 मार्च 2022

3319...काश!बचा पाते...

मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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जो शून्य से परे है,
जिसमें भौतिकता का लेशमात्र अंश नहीं
जो स्वयं प्रकृति हैं
 शिव और शक्ति जो सृष्टि के कारक हैं,
भौतिक जगत में आध्यात्मिक चिंतन,
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
स्वयं के अंतस में एकत्रित करने के लिए
उनकी अराधना की जाती है।
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बिना किसी विश्लेषण के
आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-



जहाँ सृष्टि विनाश भी होगा 
कुदरत सहज भाव से सहती,
 मानव का उर भयभीत सदा 
पल-पल मृत्यु छलावा देती !

पराया धन



कुछ दिनों बाद पापा के ठीक होने पर अनुज ने फोन पर माफी माँगते हुए कहा, "पापा ! देखा न आपने । जब आपको मेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब मैं चाहकर भी आपके पास न आ सका । छुट्टी ही नहीं मिली , ऐसी ही होती है ये नौकरी । शुक्र है कि अभी तो अनु दी थी आपके साथ ।  

लेकिन हकीकत यह है कि बड़े होते ही हम मन को काठ का बना लेते हैं, सबसे पहले भावनाओं को निचोड़कर उम्र की रस्सी पर सुखा देते हैं, हम यह भी नहीं समझते की हम बचपन को भी सुखा देते हैं, सूखा  हुआ बचपन एक पलायन वाले गांव सा ही हो जाता है... यह कैसा पलायन है एक उम्र का बचपन से पलायन...। ओह काश की एक कतरा बचपन हम बचा पाते ...। 


लोकोक्तियों पर आधारित मेरी पहली 'लोक उक्ति में कविता' संग्रह के उपरान्त यह मेरा दूसरा पेपर बैग काव्य संग्रह है। इस संग्रह में मैंने बिना किसी भाषाई जादूगरी और उच्चकोटि की साहित्यिक कलाबाजी के स्थान पर दैनिक जीवन की आम बोलचाल की भाषा-शैली को प्राथमिकता दी है। संग्रह में कई विषय व विधा की कविताएं संग्रहीत हैं। संग्रह में एक ओर जहाँ आपको कुछ कविताओं में आज के सामाजिक, राजनैतिक परिदृष्य में अपने हक के लिए आवाज उठाने की गूँज सुनाई देगी, वहीँ दूसरी ओर कुछ विशिष्ट प्रतिमान लिए, कुछ प्रेम और कुछ देश-प्रेम की कविताओं के साथ कुछ पारिवारिक स्नेह बंधन के प्रतिरूप स्वरूप खास कविताएं भी.पढ़ने को मिलेंगी। संग्रह में एकरसता का आभास न हो इसलिए मैंने इसमें हर स्वाद की कविताओं को परोसा है।



तुम नर्स होकर ऐसा कैसे सोच सकती हो?"
"नर्स हूँ इसलिए तो रोगियों का भला सोच रही हूँ।"
"ये वैक्सीन रोगियों को नहीं दिया जा रहा है। रोगी ना हो सकें, रोग से बचाव के लिए दिया जा रहा है और पहले हम चिकित्सक को और सत्तर साल उम्र वालों को दिया जा रहा है। क्या तुम वैक्सीन ली?"
"जी नहीं..,"

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आज के लिए इतना ही
फिर मिलते हैं अगले अंक में।
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6 टिप्‍पणियां:

  1. सुंंदर प्रस्तुति
    कर्पूरगौरम् करुणावतातरम्
    संसारसारम् भुजगेन्द्र हारम्
    सदा वसंतम् हृदयाल बंदे
    भवनभवामी सहितम् नमामि।।
    जय जय जय शिवशंकर
    आभार..

    जवाब देंहटाएं
  2. ॐ नमः शिवाय
    हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद छुटकी

    जवाब देंहटाएं
  3. अदभुत रचनाओं का चयन...। मेरी ओर से शुभकामनाएं स्वीकार करें। बहुत उम्दा है। मैं सभी साथियों से क्षमाप्रार्थी हूं क्योंकि बहुत अधिक व्यस्तताओं के कारण मैं ब्लॉग पर नहीं आ पा रहा हूं...। खूब आभार और साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. शिवरात्रि के पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ, पठनीय रचनाओं का चयन, सभी रचनाकारों को बधाई, आभार श्वेता जी!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट को शामिल करने हेतु बहुत आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी!
    महाशिवरात्रि पर्व की अनंत शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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