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रविवार, 27 मार्च 2022
3345...“ मै किसी कर्मकाण्ड में विश्वास नही करती… मै मुक्ति को नही , इस धूल को अधिक चाहती हूँ । ”
4 टिप्पणियां:
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सुन्दर अंक..
जवाब देंहटाएंआभार आपका
सादर..
आभार कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंसाहित्य की मीरा महादेवीवर्मा जी को समर्पित आपकी आत्मीयता भरी भावनाएँ अत्यंत सराहनीय है।साहित्य प्रेमी के रूप में महादेवी वर्मा जी सभी की आराध्या और प्रेरणा रही हैं।उनकी कीर्ति साहित्य में अमर है।उनकी पुण्य स्मृति को सादर नमन।
आज के अंक में लिंक की गई प्राय सभी पुरानी रचनाओं को आपने जिस मेहनत से खोजा है वह काबिलेतारिफ है।बहुत बहुत आभार आपका।आज के सभी रचनाकारों को सादर शुभकामनाएं।
वाह!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । महादेवी जी को समर्पित अंक बहुत ही सुंदर लगा । उनकी पुण्य स्मृति को नमन 🙏।
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