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सोमवार, 7 मार्च 2022

3325 ....कोई भूला हुआ मंजर, मुझे फिर याद आता है ...

सादर वन्दे
आज मुझे नहीं आना था
पता नहीं कैसे आ गई
आज अद्यतन रचनाएँ
देखिए रचनाएँ ....



नाम लिया नटनागर का साहस जुटाया
अब आसान हुआ वहां पहुँच मार्ग
चमक सफलता की रही  चेहरे पर




एक आह के साथ उसने विरोध का स्वर मुखर करना चाहा लेकिन पंजा में दबा..।
दबी-दबी सी फफक रही थी पर पतीश्वर को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
विरोध ज्यादा देर तक नहीं चल पाया क्योंकि बिलकुल साथ वाला
कमरा सास-ससुर का था । पतीश्वर के करवट बदलते वह
आँगन में आकर बैठ गयी। थोड़ी देर में उसके सामने
एक लिफाफा लहराने लगा।




वक़्त गया तो जाते-जाते, दिल पर छाला छोड़ गया।
ट्रक से टपके  तैल सरीखा,  धब्बा-काला छोड़ गया।

पगुराती गायों की गलियों से हो कर जो पल गुज़रा
अलसाए जीवन के  ऊपर, मकड़ी-जाला छोड़ गया।






“साहब, भगत राम बी.पी.ई.टी में बैटरी में सेकंड और रेजीमेंट में फिफ्थ आया है। मैंने उससे वादा किया था। आप साइन कर दीजिए। इसके वापस आने पर लीव सर्टिफिकेट को फाड़ देंगे।” 
यादव साहव ने बैटरी कमाँडर से अनुरोध किया था, और बैटरी कमाँडर ने लीव 
सर्टिफिकेट पर अपने हस्ताक्षर कर दिए थे।






नहीं होगा मिलन धरती-गगन का, जानते हैं सब
खुली आँखों का सपना, नित नयी चाहत जगाता है

पिपासा से भरा जीवन, नहीं संतृप्त होता है
छलावा “रूप” का, उन्माद का ही जन्मदाता है


आज बस

सादर 

7 टिप्‍पणियां:

  1. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर सराहनीय अंक , बहुतबहुत शुभकामनाएँ दिव्या जी💐💐

    जवाब देंहटाएं

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