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सोमवार, 14 मार्च 2022

3332...समय के साथ खुद को अपडेट करें...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अलकनंदा सिंह जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

सोमवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।

विशेष!

लीजिए आज प्रस्तुत है 

कविवर शिवमंगल सिंह 'सुमन' जी की कविता 'चलना हमारा काम है' का अंश-

"साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति जीवन की रूकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,

चलना हमारा काम है।"

-शिव मंगल सिंह 'सुमन'

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

सायली छंद

छलकी

तेरी गागर

जल से भरी

सर पर

धरी।

६३६सपेरे से

सपेरे,

तुम्हें लगता है

तुम साँप को नचा रहे हो,

पर ध्यान से देखो,

तुम उसे नहीं,

वह तुम्हें नचा रहा है.

भैंसें कब सुनती हैं बीन

पगुराना वो सीख गईं

दूध की नदियाँ सूख गईं

लिए कमंडल खड़े हुए हम

लेरुआ की मिट भूख गई

थैला बोतल बिके धकाधक

पड़रू दूध विहीन।।

'उऋण'"–

हार की जीतबाबा भारती कुछ देर तक चुप रहे और कुछ समय पश्चात् कुछ निश्चय करके पूरे बल से चिल्लाकर बोले, "ज़रा ठहर जाओ।खड़गसिंह ने यह आवाज़ सुनकर घोड़ा रोक लिया और उसकी गरदन पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "बाबाजीयह घोड़ा अब  दूँगा"

वन लाइनर कहानियाँ और इनके सबक



इसका परिणाम
1. समय के साथ खुद को अपडेट करेंअन्यथा आप अप्रचलित हो जाएंगे
2. कोई जोखिम नहीं लेना सबसे बड़ा जोखिम है। जोखिम उठाएं और नई तकनीकों को अपनाएं।

*****

फिर मिलेंगे।

रवीन्द्र सिंह यादव

 


11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर आगाज...
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात !
    बहुत ही रोचक और पठनीय ।
    सारे सूत्र पर गई और पढ़ा, बहुत सुंदर अंक ।
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद ।
    शुभकामनाएं और बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सूत्र पढ़ने के लिए
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी |

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात
    पठनीय रचनाओं से सजा अंक
    बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभकामनाओं और सस्नेहाशीष के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुतिकरण हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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