हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
जब किसी सरल-सहज इन्सान से मिलती हूँ तो उनसे जगत को मिलवाने की इच्छा हो जाती है। लेकिन सहज कहाँ होता है लेना उनका
कहानी मजबूत या कमजोर है, इसका एहसास रचना खत्म होने के साथ-साथ ही लेखक को हो ही जाता है। मुझे लगता है कि जो रचना कमज़ोर तैयार हो जाती है, उसे फिर से मज़बूत बनाना मुश्किल होता है। उसे तो कमज़ोर ही स्वीकार या अस्वीकार करना होगा- ठीक वैसे ही जैसे इमारत खड़ी हो जाने पर उसमें बदलाव संभव नहीं हो पाता, और उसे कमज़ोर ही स्वीकार करना होता है।
आरती स्मित : फिर तो पठनीय है। इसलिए भी कि आपके द्वारा आपके लिए नया प्रयोग है। इससे पहले इस तरह का लेखन आपका नहीं, किसी और का हो तो बताएँ।
हरीश नवल : तात्कालिक इतिहास में कल्पनिकता की गुंजाइश कम होती है। नरेंद्र कोहली जी ने लिखा तुम विवेकानंद पढ़ रही हो पर उनकी कथाएँ पुरानी हैं।मनु शर्मा प्रतिभा राय आदि या औरों ने भी लिखा पर अतीत का, मगर ,यह एकदम अभी का है। अभी गत सप्ताह जयमुनि जी के साथ दीर्घ चर्चा हुई।वे मेरे घर में चरण डाल चुके हैं
रिपोर्टर: बड़ी कन्फ्यूजिंग लाइन है।
प्रोफेसर: हमारी सीधी सी लाइन है, ओरिजनली हम भी किसान हैं।
रिपोर्टर: आप कैसे, फ्लैट आप का शहर में? पत्नी बच्चे तक शहर में। पिताजी ओल्ड एज होम में। छुट्टी तक बिताने आप हिल स्टेशन जाते हो, गांव के आप कब से हो गये?
प्रोफेसर: हमारा खेत है, हम किसान हैं, अधिया पर दिया है?
रिपोर्टर: खेती मजदूर से कराते हैं तो असली किसान वो है? हद से हद आप जमींदार हैं, किसान कैसे हैं?
प्रोफेसर: पेपर पर हैं? पंजाब वाले भी तो बिहार के मजदूरों को बुलाकर खेती कराते हैं। वे किसान तो हम भी किसान।
गुड् एवं हैड के शब्दों में- “किसी उद्देश्य से किया गया गम्भीर वार्तालाप ही साक्षात्कार है।”
डेजिन ने साक्षात्कार को इस प्रकार परिभाषित किया है- “साक्षात्कार आमने-सामने बैठकर किया गया एक संवादोचित आदान-प्रदान है, जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से कुछ सूचनाएं प्राप्त करता है।”
प्रश्न :- डीजिटल युग की कौन सी बातें आपको सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं?
उत्तर :- डिजिटल युग के प्रभावों में सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही रूप छुपे हुए हैं, जहाँ तक बात सकारात्मक दृष्टिकोण की है पूरे लॉकडाउन जैसी विपत्ति काल मे भी समस्त विश्व एक दूसरे से दुख-सुख में एक साथ ही जुड़ा रहा, दूर -दूर रहने वाले अपनो की खबर भी पल-पल में मिल रही थी। इधर विभिन्न संस्थाएं विभिन्न क्षेत्रों में बेबीनार आदि के माध्यम से अपने कार्यों में संलग्न थीं। कवि गोष्ठियों का आयोजन ऑन लाइन पाठशाला की कक्षाएं, सरकारी प्रोजेक्ट का, ट्रेन का इसी विधि से उद्घाटन आदि। इसी तरह नकारात्मक प्रचार भी शीघ्रातिशीघ्र हो जाते हैं, जिनका पूरे विश्व पर प्रभाव पड़ता है।
कहानी मजबूत या कमजोर है, इसका एहसास रचना खत्म होने के साथ-साथ ही लेखक को हो ही जाता है। मुझे लगता है कि जो रचना कमज़ोर तैयार हो जाती है,
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह शानदार...
आभार..
सादर नमन
बहुत अच्छी साक्षात्कार अंक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसाक्षात्कार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक ।
बहुत आभार !
विस्तृत विश्लेषात्मक प्रश्नोत्तरी, किसी की साधारण से असाधारण व्यक्तित्व के निर्माण की यात्रा है साक्षात्कार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा ममता शर्मा जी और रश्मि लता मिश्र जी का साक्षात्कार पढ़कर बाकी सूत्रों पर दृष्टि ही डाल पायें हैं।
अलग तरह की विषयवस्तु सूत्र समेटे हुए सुंदर अंक दी।
प्रणाम
सादर।
अभी एक ही पोस्ट पढ़ी है । बाकी बाद में पढूँगी ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चयन । आभार