मैं अग-जग का प्यारा वसंत।
मेरी पगध्वनी सुन जग जागा,
कण-कण ने छवि मधुरस मांगा।
नव जीवन का संगीत बहा,
पुलकों से भर आया दिगंत।
मेरी स्वप्नों की निधि अनंत,
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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मैं अग-जग का प्यारा वसंत।
जवाब देंहटाएंमेरी पगध्वनी सुन जग जागा,
बहुत सुंदर अंक
सादर
बहुत सुंदर अंक,यशोदा दी।
जवाब देंहटाएंसरस छै ! यशोदा बेन !!!
जवाब देंहटाएंमहादेवी जी के पांच पुष्प कविता के ।
और बेहतरीन रचनाओं के बीच स्थान देने के लिए आभारी हूँ । नमस्ते ।
बहुत सुंदर सराहनीय अंक ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनाएँ दीदी ।
वाह लाजबाव संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमैं अग-जग का प्यारा वसंत।
जवाब देंहटाएंमेरी पगध्वनी सुन जग जागा,
कण-कण ने छवि मधुरस मांगा।
नव जीवन का संगीत बहा,
पुलकों से भर आया दिगंत।
मेरी स्वप्नों की निधि अनंत,
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत
जैसी अनमोल पंक्तियों के साथ महादेवी महीयसी की पाँच कविताएँ पढवाने के लिए आभारी हूँ प्रिय दीदी।शेष सभी रचनाओं को पढ़ असीम आनन्द आया।सभी रचनाकारों को सादर नमन।मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार और धन्यवाद आपका 🙏❤