शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनीता सुधीर 'आख्या' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
'पाँच लिंकों का आनन्द' परिवार की ओर से होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ l
गुरुवारीय अंक
लेकर हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते
हैं आज की
पसंदीदा रचनाएँ-
होलिका मद आप डूबी
शक्ति भ्रष्टा मोह में थी
भूल कर सब दंभ में वो
मूढ़ता की खोह में थी
जल मरी अज्ञान तम में
हो अमर फिर ध्रुव गमकता।
मादक सी गंध है होली के रंग लिए
टूटे तारों से झंकृत हो आया फिर से मन
कोयल कूकी बुलबुल झूली
सरसों फूली मधुवन महका मेरा मन
छुयी मुई सी नशा नैन का
यादों वादों का झूला वो फूला मन
उड़े गुलाल अबीर अंगन
चौबारा रंग नहाए
बालवृंद पिचकारी ले
हैं गलियन धूम मचाए
साजन हैं परदेस
सजनियाँ ड्योढी बैठ निहारे ।।
पूर्णिमा की फागुनी को
है प्रतीक्षा बालियों की
जब फसल रूठी खड़ी है
आस कैसे थालियों की
होलिका बैठी उदासी
ढूँढती वो गीत अनुपम।।
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुतै शानदार
जवाब देंहटाएंहोली अंक..
शुभकामनाएं..
सादर...
होलिका दहन की शुभकामनाओं के संग हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स चयन
बहुत सुन्दर संकलन होली पर, आप ने मेरी रचना "मादक सी गंध है होली के रंग लिए" को भी चुना हर्ष हुआ , आभार , राधे राधे।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंरंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं, एंव बधाई सभी का जीवन खुशियों से भरा रहे।
जवाब देंहटाएंमुग्ध करती प्रस्तुति, सभी रचनाएं बेजोड़।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को हलचल में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
होली के रंग में रंगा सुंदर सराहनीय अंक ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी ।
रंग पर्व होली पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई 💐💐