शुक्रवारीय अंक में
आप सभी को श्वेता का हार्दिक अभिनंदन।
आओ बातें करें पलाश की
नवपल्लवित पीपल,नीम की पातें
मंजरी आमों की,निबौलियों के सुवास की।
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आँखों में
दहक रह
साँझ के पलाश।
और यह पलाश..
सेतुमुखी-संध्याएँ
बाँधने लगीं
रात ओर दिवस के किनारे
कुछ थकान-भटकन
लादे कंधों पर
हाँफ़ रहे क्षण के बंजारे
रचती हैं
खपरैलों के कानों में
धुएँ के कथानक-सी बेलें
झीलों में
कंकड़ियाँ फेंक रही हैं
खिंची-खिंची मौन की गुलेलें
क्षितिजों पर
मिले कहीं
धरती-आकाश।
-देंवेंद्र शर्मा 'इंद्र'
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आइये आज की रचनाओं से बातें करें-
सन्नाटा स्वयं में संपूर्ण संवाद होता है,
सन्नाटे में एक पूरा जहाँ आबाद होता है।
समझ तो तब आया
जब सन्नाटे ने चुप्पी तोड़ी
उसने पूछा
एकांत में बैठकर
किसे देखती हो
मैंने कहा
जिसने मुझे
अनछुए ही छुआ था
उसकी छुअन को पकड़ना चाहती हूं
इश्क़ की वादियाँ महकती रहे,
फूल पर तितलियाँ चहकती रहें।
सच की उम्मीद भला कैसे रहे जिंदा वहाँ ।
सच्ची खबरों को जहाँ छापता अख़बार नहीं ।।2
गोलियां उसने भी खायी है मेरी सरहद पर ।
जिस पे इल्ज़ाम है वो मेरा वफ़ादार नहीं ।।3
सच चाहे तन्हा हो या रहे उपेक्षित,
सूर्य-सा अटल दिन-सा अपेक्षित।
सच तू सच में सच का अब तो, इतना आदी हो गया
देख तो सबकी नजर में, तू फसादी हो गया ।
हाँ फसादी ही सही पर सच कभी टलता नहीं,
जान ले मन ! मेरे आगे झूठ ये फलता नहीं ।
जुनून के बिना मंजिल तक पहुँचना संभव नहीं,
कंटकों को लाँघे बिना महकना संभव नहीं।
हायकु लेखन जुनून माँगता है
व्योम जी के फेसबुक ग्रुप में हमारी कोई रचना पास हो जाती तो हम खुश हो जाते। उसपर चर्चा चलती। यात्रा लम्बी चली उनका कारवाँ बढ़ता रहा। और आज लगभग पन्द्रह साल से चल रहे उनके अथक श्रम से तीन पंक्तियों में सत्रह वर्णों के साथ रची जाने वाली, विश्व की सबसे लघु रचना 'हाइकु' को लेकर संपादित की गई पुस्तक में ७२८ पृष्ठों वाले इस वृहतकाय 'हिंदी हाइकु कोश' में देश-विदेश के १०७५ हाइकुकारों के कुल ६३८६ हाइकु संकलित हैं।
और चलते-चलते पढ़िए सारगर्भित तथ्यों को समेटे एक संस्मरणात्मक कहानी-
बड़ा आदमी
हमारी कर्मठ और प्रजा-वत्सल पुलिस ने उस उद्योगपति के फ़ार्म हाउस पर तुरंत छापा मार कर अपहृत लड़की को छुड़वाया और अपराधी रईसज़ादे को मौका-ए-वारदात से गिरफ़्तार किया.
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आज के लिए बस इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही हैं प्रिय विभा दी।
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हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
सुंदर रचनाओं से सुसज्जित अंक
जवाब देंहटाएंसाधुवाद..
सादर..
वाह!श्वेता ,सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं के लिंक संजोए हैं
जवाब देंहटाएंसाधुवाद आपको
सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
बहुत सराहनीय सूत्रों का चयन प्रिय श्वेता जी ।
जवाब देंहटाएंआपको और सभी रचनाकारों को बधाई ।
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंको सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी !
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
आओ बातें करें पलाश की
जवाब देंहटाएंनवपल्लवित पीपल,नीम की पातें
मंजरी आमों की,निबौलियों के सुवास की।///
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय श्वेता।सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं।