नमस्कार ! कितनी जल्दी आ जाता है न ये १५ दिन बाद सोमवार , हैं न ? अभी तो प्रेम दिवस की खुमारी उतरी भी न थी कि मुझे लगाने पड़ रहे हैं आपको लिंकों का आनन्द देने के लिए लिंक . वैसे आज कल आनन्द है ही कहाँ ? हर जगह युद्ध का धुआँ है ....बारूद की गंध है तो परमाणु बम का शोर है ..... जहाँ गिराए जा रहे हैं वहाँ तो है ही लेकिन सोशल मिडिया पर भी इन सबका प्रयोग हो ही रहा है ..... यूक्रेन पर रूस ने आक्रमण कर दिया वहाँ युद्ध छिड़ा है और हम भारतीय इसमे भी मोदी जी का हाथ बताने से बाज़ नहीं आते .... भूल जाते हैं कि इस तरह की बातों से मोदी जी का कुछ बिगड़े या न बिगड़े उनके संस्कार ज़रूर पता चल जाते हैं .....इस समय हम भारतीय युद्ध के एक्सपर्ट बने हुए हैं .... . खैर .... युद्ध से कभी किसी का भला नहीं हुआ और आज यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग भी हथियारों से नहीं आपस की बात चीत से ही सुलझ सकती है .....
यूक्रेन को एक बार फिर चने के झाड़ पर चढ़ाने के लिये पश्चिमी देश आगे आने लगे हैं; कोई यूक्रेन को तेल दे रहा है, कोई पैसे दे रहा है तो कोई हथियार । युद्ध और बढ़े, विनाश और हो... इसके लिये लोग लामबंद होने लगे हैं । कोई नहीं चाहता कि युद्ध यथाशीघ्र समाप्त हो ..
बातों के ज़रिये कुछ हो सके तो बेहतर ..... वरना राजनयिक को तो कोई फर्क पड़ता नहीं , फर्क जिनको पड़ता है उनके लिए कोई सोचता नहीं ..... जाने माने लेखक अशोक जमनानी जी की रचना ले कर आई हूँ ..... ब्लॉग पर नहीं फेसबुक से लिंक लिया है ..... उन्होंने शीर्षक नहीं दिया है लेकिन मैंने प्रयास किया है .....
वे लोग
जो युद्ध के मैदान में हैं
उनके बटुए में
नहीं है किसी नेता की तस्वीर ....
सच है जो लड़ रहें हैं युद्ध वो तो केवल अपने देश के राजनयिकों का आदेश पालन कर रहे हैं और कब मौत को गले लगा लेंगे ये मालूम नहीं .... बस लड़ते लड़ते भी घर परिवार का प्रेम ही आँखों में बसा रहता है .... एक हमारी मीडिया है जो चिल्ला चिल्ला कर युद्ध के दृश्य ऐसे दिखाती है कि युद्ध नहीं हुआ तो उनकी रोज़ी रोटी पर बन आएगी ..... और यही सब देखते हुए एक व्यथित हृदय से निकली पंक्तियाँ मन को झकझोर देती हैं .....
इन युद्धों से सच ही सभ्यता कब मर जाती है पता ही नहीं चलता ....... अपने वर्चस्व को बनाये रखने की होड़ ही युद्ध को जन्म देती है और हर युद्ध कभी न कभी समाप्त भी होता है .... कहने को ज़रूर सब कहते हैं कि युद्ध नहीं होने चाहियें ..... लेकिन कभी इस पर विचार किया है क्या ?
बंदरों के हाथ में , परमाणु बम है
-सतीश सक्सेना
इन दिनों रूस ने उक्रैन पर सैनिक आक्रमण कर दिया है और शायद किसी भी समय उक्रैन आत्मसमर्पण करने को मजबूर होगा वह अपने से सैकड़ों गुना शक्तिशाली रूस के आगे कुछ दिन भी टिक पायेगा इसमें शक है !
मगर इसी परिप्रेक्ष्य में रूस और नाटो की तरफ से जो वक्तव्य दिए जा रहे हैं वे विश्व के समझदार हिस्से के लिए चिंतित करने के लिए काफी है !
युद्ध की विभीषिका को सब महसूस कर रहे हैं .... क्यों कि इसकी आँच केवल यूक्रेन तक रहने वाली नहीं है ..... जल्द से जल्द युद्ध को ख़त्म होना चाहिए .... ऐसा ही कुछ जगदीश व्योम जी अपनी नयी विधा हाइकु के साथ नवगीत में लिख रहे हैं .....
छिड़ता युद्ध
बिखरता त्रासद
इंसां रोता है .
आप सटीक आह्वान कर रहे हैं कि इस पागल आंधी को रोकना होगा और विचार करना होगा कि युद्ध कभी सुपरिणाम नहीं देते .......
धरा-गगन
चाँद-सूर्य
सब हुए मलिन ।
नायक से
नरभक्षी
हो गए पुतिन ।
इस युद्ध से विचलित मन कुछ ऐसा भी सोचता है कि ऐसे युद्ध के समय पढ़नी चाहियें प्रेम कवितायेँ ......
बारूद और प्रेम
अब जब पढ़ने की बात है तो सबसे पूजनीय होते हैं हमारे पाठक ........... बिना पाठक के तो लेखक का ही अस्तित्त्व नहीं ....... और आज कल लोग पाठक कम लेखक ज्यादा बने रहना चाहते हैं ..... जाते जाते इसी पर एक करारा सा व्यंग्य पढ़ लीजिये .... मैं तो एक शब्द पर गच्चा खा चुकी हूँ लेकिन हाँ आप लोग बच जायेंगे .... वैसे ये बात तो आप सब ही मानेंगे न कि मैं पाठक बहुत ही बढ़िया हूँ ..... इसे कहते हैं अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना ..... खैर आप तो पढ़िए .....
धन्यवाद दीदी !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मुकेश ।
हटाएंजब हवाओं में
जवाब देंहटाएंहो बारूद की गमक
उस समय सबसे जरूरी होती हैं
कि लिखी या पढ़ी जाएं
प्रेम कविताएँ।
ऐसा भी होता है प्रेम..
अप्रतिम अंक
आभार..
सादर नमन
आभार यशोदा ।
हटाएंहार्दिक आभार आपका।सादर प्रणाम।बहुत ही सामयिक विषय को आपने उठाया।
जवाब देंहटाएंआभार तुषार जी ।
हटाएंबहुत अच्छी चिंतनशील सामयिक हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कविता जी ।
हटाएंबहुत उम्दा व सरहनीय प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपका तहेदिल से धन्यवाद आदरणीय मैम🙏
मनीषा ,
हटाएंबहुत शुक्रिया ।
युद्ध की विकरालता से निकली आवाज और यह लिंकों की हलचल. कमाल है कमाल.
जवाब देंहटाएंशिखा ,
हटाएंबहुत आभार
युद्ध जनित मानसिक यंत्रणा से हास्य-व्यंग्य तक की यात्रा को पटाक्षेप करता हुआ जादुई शब्द... शायद सब प्रेम कविताऐँ पढ़ने लगेंगे... आशा का अद्भुत संचरण कर गया। भविष्योन्मुख जीवन को आनन्द का भरोसा देना भी आज की सर्वप्रथम आवश्यकता हो गई है जिसे देने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंअमृता जी ,
हटाएंजब युद्ध की विभीषिका से मन उद्वेलित हो तब इस तरह के विचार जिससे प्रेम हो सौहार्द हो , मन को शांति पहुंचाते हैं। बस सब आशान्वित रहें यही प्रयास है । आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे भी आशान्वित किया है ।
हार्दिक आभार ।
बहुत ही सराहनीय संकलन दीदी ।
जवाब देंहटाएंहर तरफ युद्ध की ही खबरें हैं, युद्ध की विभीषिका और हैरान परेशान दुनियां । बहुत ही सार्थक विषय और सार्थक लिंक चयन के लिए आपका बहुत आभार और अभिनंदन ।
आपकी कर्मठता भी सराहनीय है कितनी संजीदगी और परिश्रम से इन रचनाओं का चयन किया है । जगदीश व्योम जी के नवगीत हाइकु बहुत सराहनीय रचना है । बहुत आभार और शुभकामनाएं आपको दीदी👏💐
प्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंआज की प्रस्तुति तुमने पसंद की , ये मेरे लिए बहुत संतोष की बात है । किसी भी घटना से हम सब ही बिना प्रभावित हुए नहीं रह सकते । और ये तो वैश्विक घटना है । कुछ रचनाएँ बहुत अच्छी होती हैं लेकिन ब्लॉग पर नहीं आतीं । इसीलिए फेसबुक के लिंक ही ले लिए ।
उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार ।
बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंआभार हरीश जी ।
हटाएंप्रिय दी,
जवाब देंहटाएंयुद्ध की भयावहता को तो उन परिस्थितियों को भोगने वालों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है।
चाहे कोई कुछ भी लिख ले, बोल ले,विश्लेषण कर लें
विश्लेषक बन जाए किंतु उनकी पीड़ा का काल्पनिक
चित्रांकन करना जैसा ही है।
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी..क़लमकारों की
संवेदनशील अभिव्यक्ति एहसास दिलाती है कि दिलों में
मानवता के लिए कोमल भावनाएँ अभी बाकी हैं।
युद्ध,
युद्ध क्या है?
बंदरों के हाथ में परमाणु बम है
जब भी छिड़ता है युद्ध बिखरता त्रासद
अब बात करनी ही होगी
बारूद और प्रेम
कोई सामंजस्य है?
बटुए में रखा करो
एक समसामयिक गीत लिख
का पर करूँ लेखन कि पाठक मोरा आन्हर
---/---
ब्रेक ज्यादा लंबा मत लीजिएगा,सकारात्मकता और आशाओं से भरे आपके द्वारा संयोजित अगले विशेषांक
की प्रतीक्षा में...।
सप्रेम
प्रणाम।
प्रिय श्वेता ,
हटाएंसही कहा कि लेखक कितना ही संवेदनशील हो कर लिख ले लेकिन जो इस त्रासदी को झेल रहे हैं उनकी पीड़ा को शब्द देना मुश्किल है ।
रचनाओं को पढ़ रचनाकारों की संवेदनाएँ तो मन तक पहुंच रही हैं ।।
सारे लिंक्स पर तुम पहुँचीं , प्रस्तुति सफल हुई ।
बहुत प्यार और शुक्रिया ।
बहुत सुंदर सराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
आभार , भारती जी ।
हटाएंहर तरफ युद्ध ही युद्ध ...युद्ध की खबरों में मशगूल आपके संजोए युद्ध तो छूट ही गये आज देखा तो जाना कि पूरे ब्लॉग जगत के युद्ध पर विचार एवं सभी तरह के युद्ध अपने चिर-परिचित अंदाज में समेटकर हलचल मचाई है आपने...।देर से ही सही पर आनंद तो मिल ही गया हमें भी।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सुधा जी ,
हटाएंसराहना हेतु आभार । आपने प्रस्तुति का आनंद लिया मुझे खुशी हुई । आपकी प्रतिकृत का इंतज़ार था । पुनः शुक्रिया ।
प्रतिक्रिया *** पढ़ें
हटाएंआप समसामयिक विषयों पर बड़ी मेहनत करके प्रत्येक अंक तैयार करती हैं…मन आहत है सन्नाटे में डूबा है …टी वी के आगे न्यूज देखती हूँ तो रोना आता है और न देखूँ तो जी अकुलाता है …क्या कहूँ, आपने सारे ही लिंक इतने ख़ूबसूरत छाँटे हैं कि सभी पक्षों को उजागर कर दिया…। सभी लिंक पर जाकर सबको इत्मिनान से पढ़ा, सभी ने एकदम सटीक व सार्थक लिखा है … तो कोरोना के थपेड़ों से उबरा भी नहीं विश्व कि खुद ही और बड़ी आपदा बो दी । फिलहाल तो प्रार्थना में हाथ जुड़े हैं -`हे महादेव ये विनाश रोको…!’🙏
जवाब देंहटाएंउषा जी ,
हटाएंमुझे बहुत तसल्ली मिलती है जब पाठक दिए हुए लिंक तक जा कर पढ़ता है । सच में जो थोड़ी बहुत मेहनत करते हैं वो सफल हो जाती है । जो भी लिंक यहाँ अपने पाठकों के लिए लाती हूँ उसे पढ़ कर ही लाती हूँ । इसलिए रचनाएँ छाँटने में थोड़ा वक्त लगता है ।
सराहना के लिए हार्दिक आभार ।
बहुत बहुत आभार। अनेक उत्तम रचनाएँ पढ़ने को मिलीं।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार गिरीश जी ।
हटाएंप्रिय दीदी,हिन्दी टाइपिंग टूल के खराब होने के कारण त्वरित प्रतिक्रिया ना दे सकी जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।युद्ध पर मार्मिक रचनाओं के साथ ये एक सशक्त प्रस्तुति हैयुद्ध शब्द चारों ओर गुंजित हो रहा। मानव हठ की पूर्ति लिए नये बहाने और कारण तलाश कर युद्ध नयी भूमिका गढी जाती है।वातानुकूलित कक्षों में बैठे कुटिल राजनयिक सत्ता सुख भोगते हैं और निर्दोष सैनिक मातृभूमि के नाम बलिदान हो जाते हैं तो आम जनता अमानवीयता जनित व्यर्थ की पीड़ा सहती है। काश युद्ध कभी ना हों।युद्ध के मर्मांतक समाचारों से कही बेहतर हैं प्रेम कविताएँ सुनना ।पर अराजकता भरे माहौल में ये भी करने को किसका जी चाह्ता है।बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं इस सार्थक प्रस्तुति के लिए👌👌❤🌹🌹 🙏🙏
हटाएंMummys Gold Casino - Mapyro
जवाब देंहटाएंThe place 대구광역 출장마사지 to stay is Mummys Gold. The place to stay is Mummys Gold. The 남원 출장안마 place to 하남 출장샵 stay is 대구광역 출장샵 Mummys Gold. The place to stay is Mummys Gold. The place to stay 상주 출장샵 is Mummys Gold.