सादर नमन
जब तक हम-क़दम प्रारम्भ नहीं होता
तव तक ज्ञात-अज्ञात ब्लॉग की रचनाएँ ही दी जाएगी
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सादर नमन
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प्रिय दिव्या, बहुत बढ़िया प्रस्तुति बनाई आपने। और भारी भरकम क्यों नहीं ये भी बहुत वजनदार प्रस्तुति है। आदरणीय सर को प्रतिलिपी में पहली बार पढ़ा। उनकी दो पुस्तकें भी पढ़ी मैंने। बहुत अच्छा लिखते है। उनको ढेरों बधाइयां और शुभकामनाएं। पांच लिंक का आज का दिन उनके नाम रहा। पाठकों को एक अत्यन्त विनम्र और विद्वान रचनाकर से परिचय का अवसर मिल रहा। बृजेंद्र सर को पुनः बधाई। और आपको भी आभार और शुभकामनाएं इस रोचक प्रस्तुति के लिए। हमकदम का इंतजार है 🙏🌷🌷💐💐🎊🎊🎉
जवाब देंहटाएं*ब्रजेंद्र सर 🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीया रेणु जी, आपने इतने सुंदर और आत्मीयता से ओतप्रोत शब्दों से मेरा परिचय कराकर, और मेरी रचनाओं ओर अपने विचार व्यक्त कर अभिभूत कर फ़िया है। हमलोग अपने सराहना के शब्दों में कंजूसी कर जाते है। जब कोई रचना अच्छी लगे, तो उसके लिए अपने शब्द सुमन की टोकरी उड़ेल दें। किसी भी रचनाकार के लिए इससे बड़ा कोई पुरस्कार नहीं होता। आप अच्छी रचनाओं पर त्वरित, सटीक और विस्तृत प्रतिक्रिया देती रही है। मेरी रचनाओं पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए किन शब्दों में आभार व्यक्त करुं, समझ नहीं आ रहा है। कभी - अभी आभार शब्द भी छोटा पड़ जाता है। हार्दिक स्नेह!--ब्रजेंद्रनाथ
हटाएंशिशिर अब विदा ले रहा,
जवाब देंहटाएंबसंत के आने की आहट।
मन्मथ के मृदुल राग ले
मदिर समीर की अकुलाहट।
हर्ष का सर्वत्र बसेरा है।
निकला नया सवेरा है।
शानदार अंक..
आभार दिबू
सादर...
आदरणीया यशोदा जी, नमस्ते👏! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मुझे सृजन के लिए प्रेरित करती रहेगी। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं
सादर
प्रिय दिव्या, आज की प्रस्तुति ना देखती तो बहुत ही अनमोल व सार्थक रचनाओं से अपरिचित रह जाती। आपको बहुत बहुत धन्यवाद। आदरणीय ब्रजेंद्रनाथजी के ब्लॉग पर बहुत सुंदर रचनाएँ हैं, धीरे धीरे सभी पढूँगी।
जवाब देंहटाएंआज आप जो रचनाएँ यहाँ लाई हैं वे सागर के चंद मोती हैं, अभी और मोती खोजने हैं। यहाँ शामिल सभी रचनाएँ संग्रहणीय हैं। 'छिन्न संशय' और 'मित्रता' तो विशेष पसंद आईं। इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको हृदय से धन्यवाद व स्नेह।
आदरणीय ब्रजेंद्रनाथ जी, आपको सादर प्रणाम एवं बधाई। आप अपनी और भी रचनाएँ साझा करते रहें, आपसे हम भी सीखते रहें यही शुभकामनाएँ।
बहुत बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
हर्ष का सर्वत्र बसेरा है।
जवाब देंहटाएंनिकला नया सवेरा है।
कण - कण में माँ तेरी कहानी है।
झारखंड की मिट्टी में रवानी है।
या कृष्ण ने नहीं दी सीख
छल का प्रतिउत्तर दो छल से
क्षमा, कृपा , समता की रस्सी,
ईश भजन हो सारथी,
इसलिए मित्र बनाने से पहले
मित्रता निभाने की सोचिए।
-जीवन के सभी रंगों से मिलना हुआ
साधुवाद
अति सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसराहनीय संकलन।
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