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गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

3300...'पाँच लिंकों का आनन्द' की तीन हज़ार तीन सौ वीं प्रस्तुति...

 सादर अभिवादन। 

         'पाँच लिंकों का आनन्द' आज अपने 3300 वें अंक के साथ अपने समस्त सुधी पाठकों,सहयोगियों  एवं चर्चाकारों का हृदय तल से आभार मानता है। इस सफ़र में आपके सहयोग और समर्थन ने ही इस सफलता तक हमें पहुँचने का अवसर दिया है।

हम इस सिलसिले को अनवरत बनाए रखने के लिए आपके सापेक्ष एवं निरपेक्ष सतत सहयोग एवं सहभागिता के आकांक्षी हैं। 

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-

सबै कुंअन माँ भांग परी

अजीब क़ायदा चलता, यहाँ सियासत में,

अगर ज़मीर सुलाओ, तो भाग्य जगता है.

चांदनी रात में

पर्यावरण, प्रकृति और मानव का

होता भिन्न पर बड़ा संतुलन रहता

 आगे बढ़ते जब प्रकृति की गोद में

 बड़ा तालमेल रहता आपस में।   

चक्रव्यूह

"तनाव से मुक़ाबिला ही करना पड़ता है। वही कर रहा हूँ। आपसे यों भी कुछ छुप नहीं सकता। कार्यालय के संग घर में भी बहुत अशान्ति चल रही है। दोहरा तनाव है। फिर भी जंग जारी है। जीत ही एकमात्र विकल्प।"

"बस अपनी भूमिका के प्रति सचेत और ईमानदार रहो। बाकी वक्त पर छोड़ दो वह गणित पढ़ाता रहता है। तनाव से तुम्हारे शरीर पर भी प्रभाव पड़ेगा..।"

सच

न कोई यह बताता 

इशारों में ही, सूनी राह पर, लिए है जाता 

मगर हर बार गिरने से भी वह ही बचाता 

फ़िकर किसको ? जब पाना कुछ भी नहीं है 

यहाँ अपना कुछ भी नहीं है !

हमारी लता जी, कुछ छुए-अनछुए पहलू

लता जी तब 5-6 वर्ष की थीं तो पिता की अनुपस्थिति में उनके शिष्य को एक राग गलत गाते सुन, उसको सही तरह गा कर बताया ! उनके पिता जी को तब तक लता जी के हुनर का पता नहीं था ! उनको एक जटिल राग को सहजता से गाता देख वे आश्चर्यचकित रह गए ! तभी से उन्होंने लता जी को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया। अब बहुत हुआ ऑनलाइन
साहित्यकारों के चेहरों की खोई चमक लौट आई।दो साल से भी अधिक ये कार्यक्रम चलते रहे जो कमोबेश अब भी जारी हैं।लेकिन जैसे हर गतिविधि या प्रक्रिया का एक पीक पॉइंट होता है वैसे ही साहित्य की इन ऑनलाइन गतिविधियों का भी रहा।अब ऑनलाइन गोष्ठियों या कवि सम्मेलनों में इतने आदमी/साहित्यकार नहीं जुड़ते जितने शुरू में जुड़ते थे।कहीं-कहीं तो एकल लाइव में एक कवि घंटे भर काव्य पाठ करता रहता है और मुश्किल से दो या तीन लोग जुड़े होते हैं।आज बस यहीं तक फिर मिलेंगे आगामी रविवार। रवीन्द्र सिंह यादव 

    

11 टिप्‍पणियां:

  1. सुथरी प्रस्तुति..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!सुंदर प्रस्तुति । पाँच लिंकों का ये सफर अनवरत चलता रहे ,यही शुभेच्छा ..।

    जवाब देंहटाएं
  4. पाँच लिंकों के आनंद के 3300 वें अंक तक की सफल यात्रा के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ! आज का अंक भी सुंदर बन पड़ा है, आभार मुझे भी इसमें स्थान देने हेतु!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर, सराहनीय अंक ।
    "पांच लिंकों का आनंद" के ३३०० अंक तक की सदाबहार यात्रा के लिए मेरी हार्दिक बधाई। आगे की यात्रा के लिए शुभकामनाएं 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  6. बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपको प्रतिदिन अच्छी पाठ्य सामग्री हम तक पहुँचाने के लिए ।
    हमें क्योंकि इस सम्मानजनक मंच पर अवसर पाकर और विभिन्न रचनाओं को पढ़ कर अच्छा लगता है ।
    सादर धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. 3300 वें अंक की बधाई । यशोदा जी की मेहनत का नतीजा है जो पांच लिंकों का आनंद ये ऊँचाई छू रहा है ।।
    आज की प्रस्तुति शानदार है ।।

    जवाब देंहटाएं
  9. पांच लिंकों का आनंद !
    बस नाम ही काफी है।
    अनंत बधाईयाँ 3300 वां अंक वाह! अद्भुत।
    सभी रचनाकारों को बधाई ।
    शानदार अंक।

    जवाब देंहटाएं

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